हिंदी निबंध "बंधुआ मजदूरी की समस्या"
Hindi Essay "Badhua Majduri Ki Samasya"


बंधुआ मजदूरी से अर्थ है ऐसी मजदूरी जिसे करने के लिए व्यक्ति को बाँध दिया जाता है कि उसे करनी ही होगी। ऐसा तब होता है जब किसी को विवशतावश किसे से कछ राशि जीवन निर्वाह या किसी काम को शुरू करने के लेनी पड़ती है और वह उस राशि को समय पर नहीं दे पाता। तब पूँजीपति उससे अपने खेत या व्यवसाय अथवा घर पर काम करवाता है और तब तक करवाता रहता है जब तक उसका पैसा नहीं उतर जाता है। यह प्रथा है जो भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों में खूब प्रचलित है। पँजीपति वर्ग उससे एसा रोजगार करवाते हैं जो उसे छोड़ नहीं पाता। उसे वही करना पड़ता है। इसके बदले उसे दो वक्त का मामली खाना या तन ढंकने को चीथड़े दिए जाते हैं। इन मजदूरों के न तो काम के घंटे नियुक्त होते हैं और न ही पारिश्रमिक तय होता है। बस पेट भरने के लिए मामूली अनाज दे दिया जाता है। भारत के पूंजीपतियों के घरों में बंधुआ मजदुर आम देखे जा सकते हैं। हालत यह होती है कि यह बंधुआ मजदूरी का शाप ढोने वाला मजदूर का दादा, बाप, बेटा और उसके आने वाली संतान इसी में रह गुजर करती रहती है और सालों बीत जाते हैं। सरकार को बंधुआ मजदुरी खत्म करने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे। इस ओर प्रयास अवश्य हुए हैं पर वे ऊँट के मुँह में जीरा भर है।