देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान 
Desh Ki Pragati me Mahilao ka Yogdan


देश के विकास में केवल नर का ही योगदान नहीं है, नारी का भी है। यह योगदान आदिकाल से चला आ रहा है। वेदकाल पर दृष्टिपात करने से ज्ञात हो जाता है कि जैसे पुरुष ने समाज के निर्माण में योगदान किया है उसी तरह नारी ने भी किया है। मध्यकालीन समाज में अवश्य नारी के मूल्यों को घटा दिया गया लेकिन समाज-सुधारकों ने नारी जागरण के लिए कमर कसी तो उनमें चेतना जागृत हुई। नारी ने भी देश के विकास में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। देश को स्वतंत्र कराने में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम कौन नहीं जानता? उसने अपना बलिदान देकर देश की नारियों में नवीन चेतना जगाई।


आधुनिक काल में नारी सामाजिक व्यवस्था का उतना ही महत्त्वपूर्ण अंग है जितना पुरुष है। वह पुरुषों के समान पढ़ी-लिखी और घर की दहलीज लांघकर स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सरकारी, गैर-सरकारी प्रतिष्ठान, पुलिस, प्रशासन यहाँ तक कि सेना केन्द्रिक और अंतरिक्ष क्षेत्र में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। उनका योगदान आज पूरा विश्व सराह रहा है। श्रीमती इंदिरा गाँधी, कल्पना चावला, किरण वेदी, बिचेन्द्रीपाल जैसी नारियों पर आज भारत को गर्व है। कला-साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में लता मंगेशकर, श्रीमती महादेवी वर्मा, उमा शर्मा आदि ने अहम भूमिका निभाई है।


नारी की प्रगति से इस देश की नारियों को यह लाभ अवश्य प्राप्त हुआ है कि वह पुरुषों के अत्याचारों से मुक्त हुई है। यह उसकी प्रगतिशील विचारधारा का प्रमाण है कि वह घर की व्यवस्था सुचारु संचालन करते हुए देश के विभिन्न क्षेत्रा म सफलता से योग दे रही है।