किसानों पर कर्जे का बोझ 
Kisano par Karje ka Bojh


लगभग सभी सरकारों की नीतियाँ आज तक धरती के अन्नदाता किसान के फायदे में नहीं रही हैं और अगर कुछ होती भी हैं तो उनकी प्रक्रिया इतनी कठिन होती है कि साधारण किसान उनसे लाभान्वित नहीं हो पाता। आज भी दूर-दराज के किसानों को खेती के लिए महाजनों से कर्ज लेना पड़ता है, परिणामस्वरूप उन पर इतना कर्ज बढ़ जाता है कि भरसक प्रयास के बाद भी उतार नहीं पाते। शहरों में जहाँ बैंक से कर्ज लेने की सुविधाएँ हैं, वहाँ भी इसी तरह की दिक्कत है। कर्ज न उतार पाने और भूखों मरने की जब नौबत आती है तब बहुत-से किसान आत्महत्या कर लेते हा आज पूरे देश में किसानों की हालत लगभग एक जैसी है। जब वे अपना पेट ही नहीं भर पा रहे हैं तो कर्ज का बोझ कैसे उतारेंगे। जब तक सरकार की ओर से इनके बारे में ऐसी योजनाएँ नहीं बनेंगी जिनसे सीधा उन्हें लाभ पहुंचे तब तक यह समस्या जस की तस रहेगी।