महानगरों में बढ़ते अपराध
Mahanagro me Badhte Apradh
महानगरों में जहाँ रहने-खाने की विभिन्न समस्याओं से नागरिक दो-चार हो रहे हैं वहाँ बढ़ते-अपराधों से बेहद चिंतित हैं और भय में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कानन व्यवस्था एकदम लचर साबित हो रहे है। घरों में चोरी, घर में घुसकर महिलाओं से बलात्कार, लूट-खसोट रोजमर्राह की बात हो गई है। जब जनता के प्रतिनिधि तक अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं तब आम आदमी का सरक्षित जीवन कैसे रह सकता है। कहीं तो भूमाफिया नागरिकों को धोखे से, जबरदस्ती लूट रहे हैं तो कहीं कानून के रखवाले। सामहिक अपराध एक नया प्रचलन है। इससे नागरिकों की जान और आफत में है। खुले-आम निर्भया कांड हो जाता है। कोई बचाने नहीं आ पाता। जब तक अपराधियों के लिए कड़े देड का प्रावधान न होगा, तब तक अपराधियों पर अकुंश लगाना मश्किल होगा। क्योंकि इन अपराधों में अधिकतर पढ़े-लिखे युवा शामिल होते हैं अगर उनके बेरोजगार होने की समस्या सुधार दी जाए तो अपराधों में निश्चित रूप से कमी आ सकती है।
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