हिंदी निबंध - लोकतंत्र में मीडिया का दायित्व 
Loktantra me Media ka Tayitva


मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की भूमिका को महत्त्व दिया जाता है। लोकतंत्र का सशक्त प्रहरी मीडिया कहा जाता है।

मीडिया के आज दो रूप हैं-प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। प्रिंट मीडिया के अन्तर्गत समाचार और पत्रिकाएँ आदि आते हैं जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अन्तर्गत रेडियो, टीवी, इंटरनेट आदि को स्थान प्राप्त है। पहले मीडिया समाचारों तक सीमित था पर अब ऐसा नहीं है। इसमें स्टिंग ऑपरेशन के ज़रिए सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया जाने लगा है। मीडिया का यह अंग लोकतंत्र को मज़बूत करने में महती भूमिका निभा रहा है। यह लोकतंत्र को जागरूक करने में अहम हिस्सा बनकर उभरा है। मीडिया बताता है कि लोकतंत्र में नागरिकों को क्या अधिकार प्राप्त हैं और वे अपने अधिकारों का बाखूबी इस्तेमाल कर भी पा रहे हैं अथवा नहीं।

लोकतंत्र में लोगों की इच्छा सबसे ऊपर है। मीडिया का काम लोगों की इस इच्छा को सरकार तक पहुंचाना है। लेकिन यह तभी संभव है जब मीडिया लोकतंत्र में निष्पक्ष भूमिका निभाए। जब मीडिया जनता की आवाज निष्पक्षका है तभी उसकी सकारात्मक भूमिका होती है।

कोई भी लोकतंत्र तभी सफल माना जाता है जब भूमि, सरकार और संपूभता हो। इसके अतिरिक्त जन भी इसका महत्त्वपूर्ण अग है। इसकी उपेक्षा किसी भी सूरत में नहीं जा सकती। मीडिया का काम लोकतंत्र की इसी आवश्यकता को पूरा करना है। यह मीडिया ही है जो लोकतंत्र की रक्षा करता है। वह जनता की आवाज को उठाता है। यह सरकारी कमियों को भी उजागर करता है। उसकी कमियों पर निरपेक्ष टिप्पणी करता है। अगर मीडिया अपने काम को सही तरह न करे तो सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ न हो पाए। राजशाही और लोकशाही पर मीडिया की तलवार चौबीस घंटे लटकी रहती है। इसी भय के कारण वे ठीक काम करते हैं। जरा-सा मीडिया सुस्त हुआ तो लोकतंत्र कमजोर होना शुरू हो जाता है।

मीडिया लोकतंत्र में अपनी भूमिका तभी निर्वाहित कर सकता है जब वह भयमुक्त होकर अपने काम को अंजाम दे। वह किसी भी तरह के दबाव में काम न करे। प्रिंट मीडिया में संपादक की भूमिका अहम है। वह संपादकीय से सरकार की नीतियों व कमियों को उजागर करता है। लेकिन कई बार सरकारी विज्ञापन के लोभ में पड़कर मीडिया अपनी भूमिका से मुंह फेरने लगता है. यह ऐसी स्थिति है जब लोकतंत्र को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है। मीडिया को इस तरह के प्रलोभन से बचना चाहिए और अपनी भूमिका को पूरी जिम्मेदारी से निभाना चाहिए। तभी वह लोकतंत्र का सशक्त प्रहरी साबित हो सकता है।