बरसात का एक दिन
Barsad Ka Ek Din
भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर प्रकार के मौसम का आनन्द लिया जा सकता है। विशेष रूप से उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में मई-जून माह में भयंकर गर्मी पड़ती है तो दिसंबर तथा जनवरी माह में भयंकर सर्दी पड़ती है। वर्ष के जुलाई, अगस्त तथा सितम्बर माह में वर्षा होती है। इन महीनों में इन स्थानों पर वर्षा से लोगों के गर्मी से होने वाले कष्ट दूर होते हैं। इस वर्ष अगस्त माह में पूरे उत्तर भारत में भारी मानसूनी वर्षा हो रही थी। रविवार जब मैं प्रात: विद्यालय जाने के लिये उठा तो मैंने चारों ओर घोर अंधकार देखा। जब मैंने खिड़की से बाहर झांका तो देखा चारों ओर घने बादल छाये हुये हैं जिन्होंने सूर्य को भी ढक लिया है। किन्तु विद्यालय जाना आवश्यक था। अतः मैं विद्यालय की पोशाक पहनकर जाने के लिये तैयार हो गया। बाहर वर्षा शुरू हो चुकी थी। मैंने बरसाती पहन ली तथा छाता भी ले लिया तथा विद्यालय जाने के लिये निकल पड़ा। आकाश में बिजली चमक रही थी तथा बादल गडगड़ा रहे थे। ऐसा लगता था कि आज जमकर वर्षा होगी। थोड़ी देर बाद घनघोर वर्षा हुई। जगह-जगह पर पानी भरा था। पानी की तेज धारा सड़कों पर बह रही थी। लोगों को जहाँ भी जगह मिली, वे वहीं वर्षा से बचने के लिये खड़े हो गये।
में भी एक मकान के दरवाजे के पास खड़ा हो गया। वहाँ वर्षा की बूंदें नहीं आ रही थीं। मार्ग में अनेकों वाहन खड़े थे। सड़क के किनारे लगे नीम, अशोक आदि के पेड़ वर्षा और हवा से झूम रहे थे। यह वातावरण अत्यंत आनन्ददायक था। काफी अंतराल के पश्चात जब मैं विद्यालय पहुंचा तो देखा बहुत कम छात्र विद्यालय आ सके। सभी छात्र एक ओर खड़े हो गये। हमारे प्रधानाचार्य ने वर्षा ऋतु के कारण छुट्टी घोषित कर दी। सब छात्र अपने-अपने घरों को वापस चल दिये। मैं भी अत्यंत प्रसन्न हुआ। वर्षा ऋतु की छुट्टी का आनन्द ही कुछ और है। मैं छाता होने के बावजूद भीग गया था। एक चाय की दुकान पर रुक कर मैंने चाय पी। फिर घर वापस पहुँचा। माताजी ने मुझसे तौलिया से भली प्रकार सिर पौंछने के लिये कहा। फिर नये कपड़े पहनने के लिये दिये। मैं खिड़की के पास बैठकर बाहर का आनन्द लेने लगा। वर्षा के कारण पेड़ों की पत्तियाँ धुली हुई सी लग रही थीं। ठंडी हवा चल रही थी जो शरीर को अत्यंत अच्छी लग रही थी। माताजी ने मेरे लिये थोड़ी देर बाद पकौड़े तथा चाय बना दी। मैंने खिड़की के पास बैठकर ही उनका आनन्द लिया। फिर अपने विद्यालय का गृहकार्य करने बैठ गया। इस प्रकार वर्षा ऋतु की छुट्टी का मैंने पूरा आनन्द लिया।
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