क्रिसमस (बड़ा दिन)
Christmas - Bada Din
क्रिसमस त्यौहार भी भारतीय समाज में एक खास त्यौहार माना जाता है। क्रिसमस वैसे तो ईसाई लोगों का मुख्य पर्व है लेकिन इसे बहुत से लोग धर्म की दीवारों से उठकर मनाते हैं। यह त्यौहार हर वर्ष की 25 दिसम्बर को आता है। इसे बड़ा दिन भी कहते हैं। इस दिन जीसस क्राइस्ट जेरूसलेम के बेथलहम नामक स्थान पर पैदा हुये थे। वह ईसाई धर्म के संस्थापक माने जाते हैं। उन्होंने ईश्वर तथा मनुष्य के बीच सम्बन्ध स्थापित किये। उन्होंने पूरे मानव जाति को करुणा, दया तथा अहिंसा का पाठ पढ़ाया तथा यह कहा कि केवल दया तथा प्रेम से ही मानव ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। वह स्वयं गरीब, रोगी तथा कमजोरों की सहायता करते थे। उनके उपदेश उस समय के शासकों को पसन्द न आये तथा उन्होंने ईसा मसीह यानि जीसस क्राइस्ट को सूली पर चढ़ा दिया।
क्रिसमस पर्व पूरे विश्व में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, चीन, जापान, फ्रांस, रूस, इंग्लैण्ड आदि देशों में तो इस त्यौहार की चमक-दमक देखने लायक होती है। इस दिन लोग अपनी दुकानों तथा घरों को साफ करके उसमें रोशनी करते हैं। इस त्यौहार से पहले घरों, दुकानों में रंगाई पुताई कर ली जाती है। घरों में क्रिसमस पेड़ सजाये जाते हैं जिसमें बहुत से छोटे बड़े बल्ब, रंगीन झालरें आदि लगाई जाती हैं। घरों में दीपक, मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं। ईसाई लोग सुबह में चर्च जाकर प्रार्थना करते हैं। लोग एक-दूसरे के घर जाकर क्रिसमस की बधाई देते हैं तथा केक, मिठाई आदि खाते हैं। इस दिन मदिरा का सेवन भी बढ़ जाता है। बच्चे तो खुशियों से सराबोर दिखते हैं। क्रिसमस अपने साथ नया वर्ष भी लेकर आता है। अत: इस त्यौहार का उत्साह दोगुना हो जाता है।
यह त्यौहार हमें जीसस क्राइस्ट के बलिदान तथा त्याग की याद दिलाता है। उन्होंने पूरी मानव जाति के पाप अपने ऊपर ले लिये तथा लोगों को दया, करूणा तथा प्रेम का मार्ग दिखलाया। हमें इस त्यौहार को मानकर ही नहीं बल्कि उनकी शिक्षाओं के अनुसार जीवन बिताकर क्रिसमस के दिन को सार्थक करना चाहिये।
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