ईद-उल-फितर
Eid-ul-Fitr
ईद मुसलमानों का अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। रमजान माह में 29 या 30 दिन के रोजे (व्रत) रखने के पश्चात् अरबी महीने शव्वाल की पहली तारीख को मनाई जाती है। रमजान में लोग रोजे रखते हैं तथा रात को लंबी नमाजें पढ़ते हैं। मुस्लिम लोग रमजान में उषाकाल से लेकर सूर्यास्त तक कुछ नहीं खाते-पीते, यही उनके रोजों का नियम है। रमजान माह की 29 या 30 तारीख को जब चाँद नजर आता है तो बच्चे बड़े सबमें ईद की खुशियों की लहर फैल जाती है। चाँद वाली रात को पूरी रात बाजार खुले रहते हैं तथा लोग बर्तनों, कपड़ों, जूतों, मिठाइयों तथा सिवइयों की खरीदारी करते हैं। ईद के दिन मुस्लिम लोग ईदगाह में नमाज पढ़ने के लिये जाते हैं। नमाज के बाद लोग गले मिलकर एक दूसरे को ईद की बधाई देते हैं। इसके बाद सब अपने घर लौट जाते हैं। ईद का असली आनन्द सिवइयों में है। इस दिन हर घर में सिवइयाँ बनती हैं। बच्चों को ईदी दी जाती है। ईदी में बड़े अपने छोटों को कुछ पैसे उपहारस्वरूप देते हैं। रिश्तेदार तथा दोस्त घरों पर ईद की बधाई देने आते हैं। इस दिन लोग अपने सभी गिले-शिकवे दूर करके एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मुस्लिम लोग यह त्यौहार अपने हिन्दू, सिख तथा ईसाई मित्रों के साथ भी मनाते । हैं। गैर-मुस्लिम लोग ईद पर अपने मुस्लिम भाईयों को बधाई देने उनके घर जाते हैं तथा उनके साथ बैठकर सिवईयों का आनन्द लेते हैं। ईद वास्तव में खुशी, सादगी, भाईचारा तथा प्रेम का त्यौहार है। यह पर्व इंसानों को मानवता का पाठ पढ़ाता है। हिन्दुस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, तुर्की, अरब देशों में, पाकिस्तान आदि देशों में ईद का उत्साह देखने लायक होता है।
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