मेरा घर
Mera Ghar
प्रत्येक मनुष्य के जीवन की मुख्य रूप से तीन आवश्यकतायें हैं-रोटी, कपड़ा और मकान । संसार में ऐसे बहुत से निर्धन तथा भाग्यहीन लोग हैं जो रोटी, कपड़ा और मकान से वंचित हैं। ऐसे निर्धन लोग दिनभर मेहनत करके अपने तथा अपने परिवार के लिये रोटी तथा कपड़े की व्यवस्था तो कर लेते हैं किन्तु एक स्थायी घर की व्यवस्था करना उनके लिये आसान नहीं। भारत में ऐसे करोड़ों व्यक्ति हैं जो खुले आकाश के नीचे रह रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या ने घर की समस्या को और विकराल बना दिया है तथा बहुत से लोगों के लिये अपना घर एक सपना बनकर ही रह जाता है।
मेरा नाम रघुराज शर्मा है। मैं कावेरी विहार, आगरा के सेक्टर नं. 2 के मकान नं 4/ए में रहता हूँ। मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि उसने मेरे पिताजी को इतना धन दिया कि वह स्वयं के अपने घर की व्यवस्था कर सकें। मेरा घर पर्याप्त रूप से बड़ा है। इसमें चार बड़े कमरे, एक हॉल तथा एक बड़ा बरामदा है। एक कमरे में मेरे माता-पिता सोते है। एक कमरा मेरा तथा मेरी बहन का है। एक कमरे में मेरे दादा-दादी रहते हैं। खाली बचे एक कमरे को हमने अतिथियों के लिये छोड़ दिया है। हॉल में हमारा टी.वी., अलमारी तथा सामान्य दिनचर्या के लिये सोफासेट आदि रखे हैं जहाँ हम सब परिवार वाले बैठकर बाते करते हैं। हमारी रसोई में इतनी जगह है कि हम सब बैठकर वहाँ भोजन भी कर लेते हैं। हमने अपने बरामदे के बाहर बहुत से पेड़ भी उगा रखे हैं।
हमारा घर आगरा शहर में ऐसी जगह पर है जहाँ से बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन तथा मेरा स्वयं का विद्यालय अत्यंत निकट हैं। पिताजी को भी स्कूटर से अपने ऑफिस पहुँचने में पाँच मिनट लगते हैं। हमारे घर से पुलिस स्टेशन तथा अस्पताल भी अधिक दूरी पर नहीं है। हमारे क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति पूर्ण रूप से सुचारू है। मेरे घर के कमरे तथा हॉल इस प्रकार बनाये गये हैं कि उनमें रोशनी तथा हवा पर्याप्त रूप से आती है। प्रत्येक कमरे में दो बड़ी खिड़कियाँ हैं जिससे कमरे में खूब रोशनी आती है। निस्संदेह मेरे घर में वे सभी सुख सुविधायें हैं जो एक आधुनिक घर में अपेक्षित हैं। आज-कल के समय में अपना घर होना ईश्वर की सबसे बड़ी कृपा है। मैं ईश्वर के प्रति अत्यंत आभारी हूँ कि उसने मुझे तथा मेरे परिवार को रहने के लिये इतना अच्छा घर दिया तथा ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जो लोग घर के बिना कष्टपूर्ण जीवन गुजार रहे हैं, उनके लिये भी एक घर की व्यवस्था कर दे।
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