कल्पना चावला - आंतरीक्ष यात्री
Kalpna Chawla - Antriksh Yatri
कल्पना चावला उन भारतीय नामों में से एक नाम है जिसने अपनी आभा तथा तेज से पूरे विश्व को प्रकाशित किया तथा करोड़ो लोगा क लिये प्रेरणास्त्रोत बना। कल्पना चावला को कोई अंतरिक्ष का नागरिक कहता है तो कोई आकाशगंगा का यात्री। कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री होने का गौरव हासिल करने वाली साहसी महिला हैं।
स्वर्गीय चावला का जन्म हरियाणा के करनाल जिले में 8 जुलाई, 1961 को एक व्यापारी परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा करनाल के टैगोर स्कूल से प्राप्त की थी। कल्पना ने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पंजाब इंजीनियरिंग कालेज से प्राप्त की। इसके बाद वह उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिये टैक्सास चली गयीं तथा इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उसके बाद कोलोरा डो विश्वविद्यालय से पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की। कल्पना 1988 में नासा (अमेरिका की अंतरिक्ष शोध ऐजेन्सी) में चयनित हो गईं। कल्पना ने 1993 ई. में कैलीफोर्निया की ओवरसैट मैथड्स इन कारपोरेशन में उपाध्यक्ष तथा रिसर्च वैज्ञानिक के रूप में काम शुरू किया। 1994 ई. में नासा ने सुश्री कल्पना चावला का अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन किया। इस प्रकार कल्पना मार्च 1995 में पन्द्रहवें अंतरिक्ष समूह से जुड़ गयीं। एक वर्ष के प्रशिक्षण और मूल्यांकन के बाद सुश्री कल्पना को रोबोटिक्स अंतरिक्ष में विचरण से जुड़े तकनीकी विषयों पर काम करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी। 1996 में उन्हें मिशन स्पेशलिस्ट का भार सौंपा गया।
10 नवम्बर से 5 दिसम्बर 1997 तक वे एस.टी.एस. 87 पर प्राइम रोबोटिक आर्म आपरेटर रहीं। उनकी कार्य के प्रति लगन देखकर उन्हें प्रमुख रोबोटिक्स आर्म आपरेटर का महत्वपूर्ण पद सौंपा गया।
पांच साल के लंबे अंतराल के पश्चात् कल्पना दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर गयीं तथा उन्होंने अपनी टीम के साथ कोलंबिया यान में 80 शोध पूरे कर डाले। यह कोलंबिया यान 16 दिन तक अंतरिक्ष में रहा तथा अनेक शोध पूरे किये गये। अपने मिशन को पूरा करके लौट रहा कोलंबिया यान 2 फरवरी, 2003 की शाम को धरती से 63 किलोमीटर की ऊँचाई पर धमाके के साथ फट गया। यान में कल्पना सहित अन्य मिशन यात्रियों की मृत्यु हो गयी। इस यान दुर्घटना के समय यान की गति 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा थी। इस यान के अवशेष अमेरिका के टैक्सास नगर में गिरे थे। कल्पना ने मानव जीवन के हित तथा संसार की प्रगति के लिये अपनी जान गँवा दी। वह सही अर्थों में किसी शहीद से कम सम्मानीय नहीं है। उन्होंने नि:संदेह संसार में भारत का नाम रोशन किया है।
0 Comments