मेरे जन्मदिन की पार्टी 
Mere Janamdin Ki Party



जन्मदिवस पार्टी यद्यपि पाश्चात्य सभ्यता की देन मानी जाती है। लेकिन किसी दूसरी सभ्यता का कोई ऐसा कार्य जिससे खुशी और प्रेम मिलता हो तथा उसके करने से आनन्द आता हो, ऐसा कार्य करने में अपनी संस्कृति तथा सभ्यता की कोई हानि नहीं बल्कि लाभ होता है। अपने अंदर छिपे प्रेम, हर्ष उल्लास के कारण जन्मदिवस पार्टी को सामान्यत: भारतीय संस्कृति में मान्यता मिल गई है।


मेरा नाम राहुल देव है। मेरा जन्मदिन 20 जुलाई को आता है। मेरे माता पिता मेरा जन्मदिन अवश्य मनाते हैं। इस बार मेरे कक्षा में प्रथम आने की खशी में पिताजी ने इस उत्सव को और अधिक उल्लास के साथ मनाने का फैसला किया था। मेरे मित्रों के अलावा पड़ोस के लोग तथा हमारे अपने रिश्तेदार इस उत्सव में आमंत्रित थे। उत्सव का समय सभी की सुविधानुसार साँय 7 बजे रखा गया। सामने के पार्क में व्यवस्था कर दी गई। पार्क में कनातें लगवाई गयीं, कुर्सियों की व्यवस्था की गई। गर्मी को देखते हये पापा ने ठंडे पानी की विशेष व्यवस्था की थी। 20 जुलाई को सही समय पर लोग आ गये थे। सभी लोग नये-नये कपड़ों में आये थे तथा उत्सव की शोभा बढ़ा रहे थे। सही समय पर पूजा पाठ के साथ मेरे जन्मदिवस की पापी हो गई थी। पापी लोग पूजा पाठ में समिलित हुये। पंडित जी ने एक साल विद्याथी तथा नेक मनुष्य बनने का आशीर्वाद दिया। 


मम्मी-पापा ने की नई माईकिल का उपहार दिया तथा गारी विध्य में और अधिक परिणामी तथा अनुशासित छात्र बनने का वचन लिया। मेरे सभी दोस्ती तथा रिश्तेदारों ने मुझे जन्मदिवस की गुबारकबाद दी। पापा ने पहले तोहपी उपहार लाने की औपचारिकता करने से लोगों को मना कर दिया था, अत: सबने गुडी आशीर्वाद दिया। इसके बाद मैंने निर्धन विद्यार्थियों की पुस्तक तथा पैन बाँटे। फिर मैंने केक काटा। उसके बाद सभी खाने पीने के पंडाल की और चले गये। कोल्ड ड्रिंक तथा आइसक्रीम के स्टालों पर विशेष भीड़ थी। खाने-पीने के बाद मेरे दो दोस्तों ने कविताएँ सुनाई । एक दोस्त ने बहुत सारे चुटकुले सुनाकर सबको खूब हँसाया। मेरे कुछ दोस्तों ने डांस करके भी दिखाया। पार्टी का यह कार्यक्रम 'नौ बजे तक चला। पार्टी में मेरे पिताजी अपने मित्रों के साथ बातें करते रहे। फिर धीरे-धीरे सब लोग अपने घरों को लौटे। इस प्रकार मैंने इस जन्म दिन पार्टी का खूब आनन्द उठाया तथा सबका आशीर्वाद प्राप्त किया।

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