हाथ मिलाने का सिलसिला कैसे शुरू हुआ 
Haath milane ka silsila kaise shuru hua 



आदिकाल से ही हाथ को शक्ति का प्रतीक माना जाता रहा है। शुरू-शुरू में हाथ का प्रयोग दुश्मनों का सफाया करने, जानवरों को मारने और हथियार बनाने में किया जाता था। विकसित भाषा के अभाव में भी जब कोई व्यक्ति किसी की तरफ हाथ बढ़ाता था तो यह माना जाता था कि उसका इरादा नेक है और वह दोस्ती करना चाहता है।

प्राचीन धर्मों में भी हाथ को शक्ति का प्रतीक माना गया है। यूनानी लोग जब अपने देवताओं की पूजा करते थे तो सम्मान में अपने हाथ ऊपर उठा देते थे। किसी समय हथेली से हथेली जोड़ कर नमस्ते करने का सम्मान सूचक चिह्न माना जाता था। भारत व एशिया के कई देशों में यह परंपरा आज भी प्रचलित है। अरबी लोग सैंकड़ों साल पहले अपने से बड़े व्यक्ति का हाथ चूम कर उसके प्रति सम्मान प्रदर्शित किया करते थे। लेकिन इससे हाथ चूमने वाले व्यक्ति में हीनभावना पैदा होती थी, इसलिए इस प्रथा को धीरे-धीरे बंद कर दिया गया।

हाथ मिलाने का सिलसिला यूनान से शुरू हुआ। प्राचीन यूनान में जब कोई व्यक्ति किसी अजनबी से दोस्ती करना चाहता था, तो उसकी तरफ दायां हाथ बढ़ा देता था। धीरे-धीरे यह सिलसिला इतना बढ़ा कि हाथ मिलाना एक सामान्य सी बात हो गई। आज हम जब भी किसी व्यक्ति से मिलते है तो बिना सोचे-समझे ही हमारा दायां हाथ उसी व्यक्ति की ओर बढ़ जाता है।

अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने 1 जनवरी 1907 को वाशिगटन में लगातार 8513 व्यक्तियों से हाथ मिलाने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। आज सारे संसार में हाथ मिलाने को मित्रता का प्रतीक माना जाता है। जब भी कोई देश किसी दूसरे देश को कोई मैत्री-सूचक उपहार देता है तो उस पर 'दो हाथों को मिलाते हुए चित के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।