हमें छींक क्यों आती है 
Hame Cheenk kyo aati hai 



छींक के विषय में शुभ एवं शुभ विचार केवल अंधविश्वासों से ही पैदा हुए हैं वैसे इनमें कोई तथ्य नहीं है। विज्ञान के अनुसार छींक आना शरीर की एक प्रतिवती क्रिया है जो हमारी इच्छा के बिना होती है। म्यूकस झिल्ली की नाड़ियों में जब सूजन आ जाती है तो उनमें खुजलाहट होने लगती है इसी खुजलाहट के कारण छींक आती है। छींक में नाक और मुंह से हवा तेजी के साथ निकलती है। प्यूकस झिल्ली की नाड़ियों में सूजन अधिकतर जुकाम के कारण आती है। कभी-कभी कोई पदार्थ भी नाक के अंदर चला जाता है इन नाड़ियों में सुरसुराहट पैदा कर देता है। इस पदार्थ को बाहर निकालने के लिए भी छींक आती हैं। कुछ लोगों को एलर्जी के कारण भी छींके आने लगती हैं। कभी-कभी तेज प्रकाश से, आंख के रेटिना से, मस्तिष्क को जाने वाले ऑप्टिक नाड़ी भी उत्तेजित हो जाती है जिससे छींक आ जाती है।

छींक आना शरीर की एक ऐसी क्रिया है जिसमें हवा के झटके के साथ शरीर उन पदार्थों को बाहर निकालने का प्रयास करता है जो नाक की म्यूकस झिल्ली की नाड़ियों में सुरसुराहट पैदा करते हैं। छींक आने पर पूरे शरीर को झटका सा लगता है क्योंकि छींक के समय बाहर निकलने वाली हवा का वेग 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक होता है। शरीर में एक कंपन-सा होता है और आंखे बंद हो जाती हैं। छींक आने के बाद शरीर में कुछ ताजगी आ जाती है। सिर में हल्कापन आ जाता है। कुछ लोग तंबाखू जैसे पदार्थ का प्रयोग करके कृत्रिम तरीके से छींक लेते हैं, किंतु छींक लेने का यह तरीका शरीर के लिए हानिकारक है।