हम थक क्यों जाते हैं 
Hum thak kyo jate hai 



दिनभर काम करने के बाद हम सभी थकान महसूस करते हैं। इसी प्रकार तेज दौड़ने, तैरने और व्यायाम करने से भी हमें थकान हो जाती है।

जब हम कोई काम तेजी से करते हैं और उस समय हमारी मांसपेशियां को इतनी आक्सीजन नहीं मिल पाती जितनी उन्हें चाहिए तो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए हमारी मांसपेशियों में संचित ग्लाइकोजन फर्मेंटेशन की क्रिया द्वारा लैक्टिक अम्ल में बदल जाता है। लैक्टिक अम्ल के कारण मांसपेशियों की काम करने की क्षमता कम हो जाती हैं। शरीर की इसी स्थिति को हम थकान के नाम से पुकारते हैं। लैक्टिक अम्ल मांसपेशियों के लिए एक प्रकार से विष का काम करता है। यदि हम किसी तरीके से मांसपेशियों में से इस लैक्टिक अम्ल को निकाल दें तो ये फिर से काम करने योग्य हो जाती हैं। मांसपेशियों का कार्य करने के फलस्वरूप दूसरे पदार्थ भी शरीर में पैदा होते हैं इन्हें फटीग टॉक्सिन कहते हैं। रक्त के द्वारा ये टॉक्सिन और अम्ल सारे शरीर में पहुंच जाते हैं। जिससे मस्तिष्क और शरीर दोनों ही थक जाते हैं। मानसिक कार्य करते समय भी शरीर में लैक्टिक अम्ल और फटीग टॉक्सिन पैदा होते हैं जो हमारी थकान का कारण बनते हैं। वैज्ञानिकों ने थकान से संबंधित कई प्रयोग करके देखे हैं। यदि एक कुत्ते से बहुत काम कराया जाएं जिससे वह थककर सो जाए और इस थके कुत्ते का रक्त दूसरे चुस्त कुत्ते के शरीर में प्रविष्ट करा दिया जाए तो दूसरा कुत्ता अपने आप ही थककर तुरंत सो जाएगा। इसी प्रकार यदि बिना थके कुत्ते का रक्त थकान से साये हुए कुत्ते के शरीर में प्रविष्ट करा दिया जाए तो थका हुआ कुत्ता तुरंत ही नींद से जाग जाएगा और बिल्कुल थकान महसूस नहीं करेगा।

थकान केवल एक रासायनिक प्रक्रिया ही नहीं है बल्कि यह एक जैविक क्रिया भी है। यह शरीर की एक सुरक्षा-क्रिया है। इसके द्वारा हमें यह पता चलता है कि अब हमें शरीर से अधिक काम न लेकर इसे विश्राम देना चाहिए। थकान को फौरन ही दूर नहीं किया जा सकता। इसे दूर करने के लिए शरीर की कोशिकाओं को विश्राम देना अत्यंत आवश्यक है। थकान को दूर करने का नींद एक प्रभावशाली तरीका है। इससे शरीर की नष्ट कोशिकाएं ठीक हो जाती हैं। शरीर में आक्सीजन की उचित मात्रा पहुंचने पर श्वसन क्रिया द्वारा लैक्टिक अम्ल फिर ग्लाइकोजन में बदल जाता है और हम फिर ताजगी महसूस करने लगते है। थोड़े समय विश्राम करने से भी थकान कुछ हद तक दूर हो जाती है। थकान में शरीर के अंदर जो ग्लाइकोजिन की कमी हो जाती है वह कुछ अंशों तक भोजन द्वारा भी पूरी होती है। यही कारण है कि थके हुए व्यक्ति को भूख अधिक लगती है।