लड़का है या लड़की 
Ladka hai ya Ladki



जन्म और मृत्यु प्रकृति का एक नियम है और संतान पैदा करना हर जीवित प्राणी का गुण है। जब हम मानव जाति के विषय में विचार करते हैं तो देखते हैं कि पैदा होने वाले सभी बच्चे नर या मादा होते हैं। प्रश्न उठता है कि मानव की संतान में सभी बच्चे केवल नर या केवल मादा ही क्यों नहीं पैदा होते हैं? लड़का या लड़की का पैदा होना निम्न प्रकार से समझा जा सकता है।

महिलाओं में मासिक धर्म शुरू होने के बाद से संतान पैदा करने की क्षमता पैदा हो जाती है। मासिक धर्म के दस दिन बाद से 19 दिन तक उनके प्रजनन अंगों से एक अंडा पैदा होता है। इस दौरान जब स्त्री का संयोग पुरुष के साथ होता है तो पुरुष वीर्य में उपस्थित शुक्राणु द्वारा गर्भाधान की क्रिया संपन्न हो जाती है। महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु के संयोग से ही गर्भ में बच्चे की निर्माण क्रिया होती है।

स्त्री में पैदा होने वाले अंडे और पुरुष के वीर्य में उपस्थित शुक्राणु में सेक्स क्रोमोसोम होते हैं। स्त्री के सभी अंडों में केवल एक ही प्रकार के क्रोमोसोम होते हैं जिन्हें X क्रोमोसोम होते हैं। पुरुष के शुक्राणु दो प्रकार के होते है। इन्हें X और Y क्रोमोसोम कहते हैं। X क्रोमोसोम का आकार Y से बड़ा होता है। गर्भाधान की क्रिया में जब पुरुष का X क्रोमोसोम महिला के अंडे में प्रवेश कर जाता है तो इसके मिलने से लड़की का निर्माण होता है. लेकिन यदि पुरुष का Y क्रोमोसोम महिला के अंडे में प्रवेश कर जाता है तो इनके मिलने से लड़के का निर्माण होता है।

कुछ लोग जिनके केवल लड़किया ही पैदा होती है वे इस बात के लिए महिलाओं को दोषी ठहराते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि बच्चे का नर या मादा बनना केवल पुरुष के ही द्वारा नियंत्रित होता है। इसमें महिलाओं का कोई दोष नहीं होता।