तारे क्यों टिमटिमाते हैं
Tare kyo timtimate hai
रात्रि में लाखों तारे हमें आकाश में दिखाई देते हैं। ये सभी तारे चमकते रहते हैं और सभी दिशाओं में अपना प्रकाश भेजते रहते हैं। यद्यपि ये देखने में बहुत छोटे-छोटे नजर आते हैं, लेकिन वास्तव में इनका आकार बहुत बड़ा होता है। इनमें से अधिकतर तारे ऐसे हैं जो हमारी पृथ्वी से कई गुना बड़े हैं। इनका आकार छोटा इसलिए दिखाई देता है कि ये हमारी धरती से बहुत दूर है। रात्रि में जब हम आकाश की ओर देखते हैं तो ये तारे हमें टिमटिमाते नजर आते हैं। हमारी धरती के चारों
ओर वायु का एक आवरण है, जिसे हम वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल से परे रिक्त स्थान है। वायुमंडल में उपस्थित गैसें सदा ही गतिशील रहती हैं। इस गतिशीलता के कारण वायुमंडल में वायु का घनत्व कहीं कम होता है तो कहीं अधिक। घनत्व के अलग-अलग होने के कारण वायु का अपवर्तनांक भी अलग-अलग होता है। तारों से आने वाली किरणें जब धरती के वायुमंडल में प्रवेश करती है तो अलग-अलग स्थानों पर वायु के घनत्व की भिन्नता और तदनुसार अवपर्तनों की भिन्नता के कारण ये किरणें हमारी आंखों तक पहुंचने से पहले बहुत बार अपने रास्ते से विचलित हो जाती हैं।
एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर प्रकाश के इस प्रकार विचलित होने को अपवर्तन कहते हैं। प्रकाश के इस अपवर्तन के कारण कभी प्रकाश हमारी आंखों तक अधिक मात्रा में पहुंचता है तो कभी कम मात्रा में। प्रकाश की कम या अधिक मात्रा के कारण ही हमें तारे टिमटिमाते दिखाई देते हैं।
अब प्रश्न उठता है कि तारों की तरह चंद्रमा, सूर्य और दूसरे ग्रह टिमटिमाते हुए क्यों नहीं प्रतीत होते? इसका कारण यह है कि तारे की अपेक्षा सूर्य, चंद्रमा और अन्य ग्रह पृथ्वी के बहुत निकट हैं और इनका आकार तारे की अपेक्षा बडा दिखाई देता है। (वास्तव में इनका आकार तारों से छोटा है) अतः चंद्रमा, सूर्य और ग्रहों द्वारा
आंख पर बनाए गए कोण तारों के द्वारा बनाए गए कोणों से बड़े होते हैं। इसके कारण वायुमंडल द्वारा प्रकाश की किरणों का विलन हमारी आंखे देख नहीं पाती। इसीलिए सूर्य, चंद्रमा आदि टिमटिमाते नहीं दिखते।
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