पान खाने से मुंह लाल क्यों हो जाता है 
Paan khane se mooh laal kyo ho jata hai 



इस बात का तो अनुभव सभी को है कि पान चबाने पर मुंह लाल हो जाता है। पान चबाने का शौक संसार के लगभग सभी देशों में है। संसार की कुल जनसंख्या का दसवां भाग पान चबाने का शौकीन है।

पान एक पौधे का पत्ता होता है। इसका पौधा बेल की तरह होता है। इसकी बेल को चढ़ाने के लिए बांस गाड़ दिए जाते हैं। बेल को धूप से बचा कर रखा जाता है। इस काम के लिए पौधों को चटाइयों की छाया में रखा जाता है। इस बेल पर फूल भी आते हैं। पान के पौधे भारत में बिहार, मध्य प्रदेश, बंगाल और उत्तर प्रदेश में खूब उगाये जाते हैं। चबाने वाले पान में चूना और कत्था लगाया जाता है। इसमें थोड़ी सी सुपारी, लौंग, गोले का बुरादा, इलायची और थोड़ी सी खुशबू भी इच्छानुसार डाली जाती है। सुपारी और हरे रंग की पत्ती से लाल रंग पैदा हो नहीं सकता। इस बात का परीक्षण दोनों को अलग-अलग चबाकर किया जा सकता है। चूना सफेद रंग का होता है इसलिए यह भी लाल रंग पैदा नहीं कर सकता। केवल कत्था ही पान में ऐसा पदार्थ है, जो लाल रंग पैदा कर सकता है। कत्था खैर नामक वृक्ष की भीतरी कठोर लकड़ी से निकाला जाता है। पान में इस्तेमाल करने के लिए कत्था पानी के साथ उबाला जाता है। कत्थे के इसी घोल को पान पर लगाया जाता है। जब चूने के ऊपर कत्था लगता है, तो एक रासायनिक क्रिया होती है, जिसके फल स्वरूप इसका रंग गहरा लाल हो जाता है। पान खाने पर मुंह में उपस्थित लार उसका रंग और भी अधिक गहरा कर देती है। इस प्रकार पान चबाने पर हमारा मुंह लाल हो जाता है।