लोहे पर जंग कैसे लगता है 
Lohe par jung kaise latga hai



जंग लगने को रोकना वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या रही है क्योंकि लोहे से बनी मशीन, रेलगाड़ियां, मोटरसाइकिल, जहाज आदि हजारों चीजें जंग लगने के कारण जल्दी खराब हो जाती है। लोहे पर जंग लगने पर पेंट या किसी प्लास्टिक की पतली परत चढ़ाकर कुछ हद तक रोका जा सकता है। पेंट या प्लास्टिक की पतली परत के कारण लोहे के परमाणु पानी के संपर्क में नहीं आ पाते। क्योंकि आक्सीजन लोहे से संयोग नहीं कर पानी और जंग नहीं लग पाता।

जंग वास्तव में लोहे का आक्साइड है। जब लोहे के परमाणु आक्सीजन से मिलते यानी संयोग करते हैं तो लोहे का आक्साइड बनता है। लोहे के परमाणुओं का आक्सीजन से मिलना आक्सीजन की क्रिया कहलाती है। लोहे पर जंग लगने के लिए आक्सीजन और नमी का होना अत्यंत आवश्यक है। सूखे स्थान पर लोहा आक्सीजन से संयोग नहीं करता। नमी और आक्सीजन की उपस्थिति में ही लोहे के परमाण धीरे-धीरे ऑक्सीजन से मिलकर लोहे का आक्साइड बनाए रखते हैं और जंग लगने की क्रिया जारी रहती है।

जब लोहे की किसी वस्तु पर जंग लगना शुरू हो जाता है तो धीरे-धीरे यह वस्तु की सारी सतह पर फैल जाता है। जंग पानी को सोखता है और यह पानी उस वस्तु के दूसरे हिस्सों के परमाणु को आक्साइढ बनने में मदद करता है।