डबलरोटी में छेद क्यों होते हैं 
Double Roti mein Ched kyo hote hein 



अधिकतर डबलरोटी गेहूं के आटे या मैदे से बनाई जाती है। किंतु कुछ स्थानों पर यह चावल, आलू, मटर, जौ आदि के आटे से भी बनाई जाती हैं। यह एक खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल की जाती है।

डबलरोटी बनाने की शुरुआत ईसा से लगभग 300 वर्ष पूर्व मिस्र में हुई थी। खमीर का आविष्कार भी वहीं हुआ था। आजकल डबलरोटी के निर्माण में गेहूं से बनी मैदा को पानी के साथ मेंथ लिया जाता है। इसमें थोड़ा सा खमीर मिला देते हैं। खमीर एक प्रकार का फफूंद होता है। मैदा की गर्मी और नमी के कारण यह बड़ी तेजी से बढ़ता है। इसके बढ़ने में कुछ गैस पैदा होती है और इसके साथ बुलबुलों के कारण गुंथी हुई मैदा का आयतन भी बढ़ जाता है। जब इसे गर्म भट्ठियों में सेका जाता है तो ये गैस के बुलबुले फूट-फूट कर डलबरोटी में छोटे-छोटे छेद पैदा कर देते हैं। इसी खमीर के कारण डबलरोटी में गंध और स्वाद पैदा हो जाता है। इन छेदों को किसी भी डबलरोटी के टुकड़ों में देखा जा सकता है।

केक में भी छोटे-छोटे छेद होते हैं, लेकिन ये छेद खमीर के कारण नहीं होते बल्कि बेकिंग सोडा की वजह से होते हैं। केक में टारटेरिक ऐसिड और सोडियम बाइकार्बोनेट का मिश्रण मिलाते हैं जिसे बेकिंग सोडा कहते हैं। जब इन दोनों को मिलाकर आटे के साथ गीला करके पकाया जाता है तो कार्बनडाईआक्साइड गैस निकलती है। इसी गैस के बुलबुलों के टूटने से केक में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं।