इंडोनेशिया सरकार और विद्रोहियों के बीच समझौता 

Indonesia Sarkar aur Vidrohiyo ke beech samjhota



इंडोनेशिया सरकार एक अकेले विद्रोही पिछले 29 वर्षों से चले आ रहे संघर्ष का अंत करने के लिए शांतिवार्ता तक पहंच चके हैं। सुनामी से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांत अकेह में विद्रोही गुट की अकेल मूवमेंट द्वारा तैयार किए गए मसौदे को जाता में इंडोनेशिया सरकार द्वारा दिया गया। इस बातचीत में मध्य रथ की भूमिका फिनलैंड निभा रहा है। प्रस्तावित शांति वार्ता में सनामी आपदा से पीड़ित देश इंडोनेशिया को मिली अंतर्राष्ट्रीय सहायता राशि के वितरण में सुगमता आने की संभावना है। गौरतलब है कि 26 दिसंबर, 2004 को आए सुनामी आपदा में सुनामी से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांत अकेह के 41 लाख निवासी अब सहायता राशि से कुछ राहत पा सकेंगे।

दरअसल इंडोनेशिया सरकार व अकेह विद्रोहियों के बीच चलने वाला युद्ध विश्व के सबसे लंबे समय तब चलने वाले संघर्ष में से एक है। प्रारूप के अनुसार, इंडोनेशिया सरकार ने अलगाववादी फ्री अकेह मूवमेंट को एक राजनीतिक पार्टी का गठन करने की मंजूरी दे दी है। दोनों ओर से आगामी अगस्त महीने में फिनलैंड की राजधानी में एक औपचारिक बैठक में समझाते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। बताया जाता है कि उपरोक्त समझौते के बाद अलगाववादी भी अगले वर्ष होने वाले चुनाव में भाग लिए। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह समझौते के 18 माह बाद तक सभी प्रतिबंध हटा लेगी। महत्त्वपूर्ण यह रहा कि उस प्रांत से सैनिक और अर्द्धसैनिक बल गुरिला सैनिकों को वापस बुला लेगी। समझौते के प्रयास को देखने के लिए 100 प्रतिनिधि तैनात किए गए।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस समझौते का स्वागत किया विश्लेषकों का कहना है कि शांति संधि के लिए तैयार किया गया प्रारूप अलगाववादियों के साथ व्याप्त जब के कम मरता रहेगा। वर्ष 1998 में तानाशाही सु हार्तों के वे दखली व 1998 में पूर्वी तिमोर के उत्तराधिकार संकट के बाद यह स्थिति इंडोनेशिया के लिए सुखद रही।

युधारोनो के साथ संधि को राष्ट्रपति सुजीलो बेवांग युधोयोनो की महत्त्वपूर्ण राजनीतिक सफलता माना जा रहा है, जबकि उनके इस कदम का राष्ट्रवादी विधि निर्माताओं द्वारा बड़ा विरोध किया गया है। आलोचकों का कहना है कि फिनलैंड के तत्त्वाधान में जारी इस वार्ता से अकेह समस्या का अंतर्राष्ट्रीय हो गया। सुनामी हादसे के बाद इंडोनेशिया शासन और अकेह विद्रोही के ऊपर दबाव डाला गया कि वे पारित रूप से समस्या का समाधान करे। सुनामी के पूर्व अकेह सैन्य प्रतिबंधित क्षेत्र या जिसे बाद में सैन्य आवागमन के लिए अनुमति दी गई ताकि राहत कार्य आसानी से चलाया जा सके।