गैट - विश्व व्यापार संगठन
Gate - Vishav Vyapar Sangathan
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार से प्रभावित करने एवं सुगम बनाने के लिए 30 अक्टूबर, 1947 को कुछ राष्ट्रों द्वारा जनेवा शहर में एक मंच का गठन किया गया जिसे 'गैट' कहा जाता है। इसका नाम प्रभुत्व एवं व्यापार के लिए सामन्य समझौता। इस मंच की स्थापना के समय सदस्य देशों की संख्या मात्र 23 थी। इसके संस्थापक देशों में भारत भी एक था। यह समझौता जनवरी 1948 से लागू हो गया। गैट का मुख्यालय स्विटजरलैंड की राजधानी जेनेवा में स्थित है।
गैट के मख्यतः निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
1. सदस्य राष्ट्रों में पूर्ण रोजगार को लागू करना।
2. विश्व उत्पादन में वृद्धि लाना और व्यापार को सुगम बनाना।
3. विश्व-संसाधनों का विकास एवं उनका पूर्ण उपयोग करना।
4. सदस्य राष्ट्र के नागरिकों का जीवन स्तर ऊंचा करना।
सदस्य राष्ट्रों के बीच व्यापार में आए अवरोधों को दूर करने एवं इसे और भी सुगम बनाने के लिए समय-समय पर गैट की बैठकें हुईं। विभिन्न जगहों पर सदस्य राष्ट्रों की बैठक में आम सहमति नहीं बन पाई तब इस समस्या के समाधान का दायित्व तत्कालीन महानिदेशक आर्थर डंकुल को सौंपा गया। इस संबंध में 20 दिसंबर, 1981 को आर्थर डंकुल ने 437 पृष्ठों का एक लिखित प्रस्ताव पेश किया, जिसे सभी राष्ट्रों ने 15 दिसंबर, 1983 की जेनेवा सहमति दे दी। इसे ही डंकल प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है। सदस्य देशों द्वारा 15 अप्रैल, 1981 ई. को इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए गए। यह प्रस्ताव जनवरी 1995 ई. से सभी देशों पर प्रभावी है। इसके बाद उल्लंघन सदस्य देशों के लिए दंडनीय है।
डंकल प्रस्ताव में निम्न लिखित बिंदु हैं-
1. गैट का नाम बदलकर विश्व व्यापार संगठन होगा।
2. विज्ञान के क्षेत्र में नयी खोज पर एकत्व प्रणाली लागू होगी। यह अवधि 20 वर्षों की होगी।
3. कृषि पर सरकार की ओर से दी जाने वाली छूट सब्सिडी 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी।
4. तकनीकी में शिक्षित व्यक्ति बिना के बाधा के सदस्य राष्ट्रों में जाकर रोजगार पा सकते हैं। इस पर बड़े विकसित देशों के जो प्रतिबंध है, हटा लिए जाएंगे।
5. वस्त्र उद्योग पर विकसित देशों द्वारा लगाया जाने वाला प्रतिबंध अगले दस वर्षों में समाप्त कर दिया जाएगा।
6. वर्तमान में गैर एक शक्तिशाली मंच हो गया है। विश्व के व्यापार का 90 प्रतिशत व्यापार इसी संगठन के नाम से हो रहा है। इसकी उपादेयता को देखते हुए वर्तमान में इसमें सदस्य देशों की संख्या 117 है। डंकल प्रस्ताव लागू होने से कुछ राष्ट्रों से हर्ष है, तो कुछ राष्ट्र में विवाद में भी है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर डंकल प्रस्ताव का असर और लाभ निम्नलिखित हैं-
1. विशेषज्ञों के अनुसार भारत के निर्यात में डेढ़ अरब डॉलर तक वृद्धि होगी।
2. भारतीय कृषि-उत्पादन के लिए विदेशी बाजार उपलब्ध होगा।
3. बेरोजगारी दूर करने में मदद मिलेगी।
4. भारत औद्योगिक क्षेत्र में विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में आ जाएगा।
डंकल प्रस्ताव से भारत में जो हानि संभावित है, वह निम्नलिखित हैं-
1. सब्सिडी में कमी होने से कृषि के उत्पादन में बुरा असर पड़ेगा।
2. पेटेंट प्रणाली लागू होने से भारत में सहज उपलब्ध दवाइयां एवं उन्नत कृषि बीजों के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाएगी। इस भारतीय जनता की तबाही और बढ़ जाएगी।
3. विदेशी कंपनियों के आ जाने से स्वदेशी कंपनियां मृतप्राय हो जाएगी।
डंकल प्रस्ताव पर काफी तर्क-वितर्क हुए और काफी आशंका हुई। पर यह आशंका निर्मूल साबित हुई। यह प्रस्ताव गरीब विरोधी है। भारत जैसे गरीब राष्ट्र को डंकल के माध्यम से अमेरिका जैस धनी राष्ट्र के साथ जोड़ना अनुचित है। डंकल प्रस्ताव पर कुछ वर्षों के बाद भी विचार शुरू होगा, क्योंकि इस बीच इससे होने वाले प्रत्यक्ष लाभ या हानि की समीक्षा मन ही मन की जा रही है।
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