अपने मित्र को एक पत्र लिखिए, जिसमें बाढ़-पीडित क्षेत्र का भ्रमण करके आप पर जो प्रभाव पड़ा है उसका वर्णन हो। 

2/29 लाजपत नगर 

मुंबई-24 

दिनांक: ..... 

प्रिय मित्र करण 

नमस्कार 

तुमने समाचार-पत्रों में पढ़ा होगा कि भीषण वर्षा के कारण पिछले दिनों मुंबई में बाढ़ आ गई थी। लगातार चार-पाँच दिन की वर्षा ने मुंबई को पूरी तरह जलमग्न कर दिया था। पूरी-की-पूरी मुंबई थम-सी गई थी। चूकि मैं यहाँ का निवासी हूँ इसलिए मुझसे बेहतर उसकी स्थिति और कौन तुम्हें बता सकता है।

दो दिन बाद जब अपने घर से निकलने में मुझे सफलता मिली तो मैं बाहर का दृश्य देखकर अत्यंत दुखी हो गया। बाहर के विनाश को देखकर मेरा हृदय भर आया। पूरी-की-पूरी मुंबई पानी में डूबा हुआ था। घरों में, रेलवे प्लेटफार्म पर जहाँ देखो वहाँ पानी-ही-पानी। चारों ओर विनाश का तांडव चल रहा था। कई लोग अपना घरों पर दो दिन से नहीं पहुंचे थे। ट्रेनें बंद थीं। बसें भी बड़ी देर से चल रही थीं। पता चला पड़ोस में रहने वाला राकेश बारह घंटे पैदल चलकर अपने घर पहुंचा था। लेकिन बगलवाली कॉलोनी में रहने वाले दीनानाथ का अभी तक कोई पता नहीं है। 

लोगों के घरों में पानी भर गया था। पहली मंजिल पर बैठे लोग पानी के कम होने का इंतजार कर रहे थे। लाखों करोडों रुपये का नुकसान हो गया था। मन चारों ओर मचे हाहाकार को देखकर बहुत विचलित हो गया। प्रकृति का ऐसा प्रकोप मुंबई पर पहले कभी नहीं छाया था। मंबई के लोगों ने कभी ऐसा मंजर पहले नहीं देखा था। बाढ़ का यह प्रकोप उनके लिए एक ऐसा अप्रत्याशित आघात था जिसे झेलने के लिए वे तैयार नहीं थे। जब सैनिक बल ने आकर सहायता कार्य शुरू किया तो धीरे-धीरे जीवन सामान्य होने लगा। सबसे ज्यादा दुख मुझे उन लोगों को देखकर हुआ जिनके झोंपड़े इस बाढ़ में पानी से भर गए और जिनके पास जीवन को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी न रहा। 

जो अत्यधिक हृदय-विदारक दृश्य हमने देखे थे उनकी याद अब भी हमारे हृदय को व्याकुलता से भर देती है। मैंने अनुभव किया कि वे बाढ़ पीड़ित लोग हमारी सहायता के पात्र हैं। उसी समय हमने धन, वस्त्र और भोजन एकत्र कर उनकी सहायता का बीड़ा उठाया। दुर्भाग्यग्रस्त लोगों की सहायता के लिए अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी तत्काल पग उठाया। बाढ़ से विनाश का और उससे तबाह लोगों का सचमुच मर्मस्पर्शी दृश्य था। शेष अगले पत्र में। परिवार के सभी लोगों से मेरा यथोचित नमस्कार कहना। 

तुम्हारा मित्र 

क० ख० ग० 

पत्र पाने वाले का नाम और पता