आप ग्रीष्मावकाश में दार्जिलिंग-स्थित पर्वतारोहण-संस्थान से प्रशिक्षण पाना चाहते हैं, पर आपके पिता जी ने अनुमति नहीं दी। उन्हें समझाते हुए पत्र लिखिए कि पर्वतारोहण सीखने के क्या लाभ हैं?
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
10 मार्च 20...
पूज्य पिताजी
सादर चरण स्पर्श
मैं यहा सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ सानंद होंगे और मैं ईश्वर से परिवार की कुशलता की कामना करता हूँ। पिता जी इस वर्ष मैंने अपनी कक्षा में प्रथम आया हूँ। मेरे 90 प्रतिशत से आधक अक हैं। अंक पत्र मिलते ही मैं आपको दिखाऊँगा। पिछले पत्र के माध्यम से मैंने आपसे पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति मांगी थी, पर यह अस्वीकृत हो गई थी।
पिता जी मेरी ग्रीष्मावकाश की छुट्टियाँ शुरू होने वाली है। इन छुट्टियों का सदुपयोग मैं पर्वतारोहण सीखकर करना चाहता हूँ। मुझे यह प्रशिक्षण दार्जिलिंग स्थित सुप्रसिद्ध पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह प्रशिक्षण मेरी शारीरिक क्षमता तो बढ़ाएगा ही, साथ ही मुझे पर्वतीय सौंदये का दर्शन करने का अवसर मिल जाएगा। मैं पर्वतीय जलवायु, वहाँ के रहन-सहन, संस्कति, वहाँ के लोगों के श्रमपूर्ण जीवन से परिश्रम करने की प्रेरणा, टेढी-मेढी पतली सड़कें, बर्फ से ढंकी चोटिया, प्रदूषण रहित वातावरण, फूलों की वादियाँ, कल-कल करते झरने आदि देखने का साक्षात् अनुभव प्राप्त होगा। इस प्रशिक्षण के लिए मैं आपसे किसी अतिरिक्त धनराशि की मांग नहीं करूंगा। आशा है कि इसके लिए आप अनुमति अवश्य प्रदान करेंगे।
एक बार पुनः आपको और माता जी को सादर चरण स्पर्श तथा मोनू को प्यार। शेष सब ठीक है।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
पुलकित
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