नैनीताल में सैर-सपाटे के दौरान एक स्थानीय विदयार्थी आनंद से आपकी मित्रता हो गई। उसने पर्वतीय गाँवों के जनजीवन से भी आपका परिचय कराया। अपने घर लौट आने पर उस मित्र का आभार व्यक्त करते हुए उसे पत्र लिखिए। 


परीक्षा भवन 

नई दिल्ली 

13 मार्च 20... 


प्रिय आनंद 

नमस्कार 

स्वयं सकुशल रहकर तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। मित्र गत सप्ताह नैनीताल से भ्रमण के उपरांत जब से दिल्ली वापस आया हूँ, मन में बस वहीं की यादें समाई हुई हैं। पर्वतीय अंचल देखने का जो सौभाग्य मुझे तुम्हारे साथ मिला है, उसे मैं कभी अकेले न देख पाता। पर्वतों का ऐसा नैसर्गिक सौंदर्य दिखलाने हेतु तुम्हारे प्रति बार-बार आभार प्रकट करता हूँ। इस अनुभूति को मैं शब्दबद्ध करने में असमर्थ हूँ। 

मित्र! तुमने ही मुझे दिखाया कि पहाड़ी लोगों तथा पर्वतीय गाँवों के लोगों का जीवन कितना शांत परंतु परिश्रम से पूर्ण है। उन्हें काम करता देख मन में श्रम के प्रति लगाव उत्पन्न हो गया। नैनीताल शहर की उस झील में तुम्हारे साथ किया गया नौकायन तथा उसी समय सूर्यास्त का दृश्य झील में देखना कितना मनोहर था। मैं इसे जीवन भर नहीं भूल सकूँगा। वहाँ के ग्रामीण जीवन से तुमने मेरा परिचय कराया तथा अनेक दर्शनीय स्थलों और मंदिरों की सैर कराई। तुम्हारी बातों तथा तुम्हारे माता-पिता के व्यवहार के कारण मैंने स्वयं को अजनबी नहीं रहने दिया। सचमुच नैनीताल में तुम्हारे साथ बिताए गए वे पल हमेशा याद रहेंगे। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। पत्रोत्तर के इंतजार में।

तुम्हारा मित्र

विप्लव