फिजूलखर्च करने वाले मित्र को पत्र लिखते हुए समझाइए कि फिजूलखर्ची पर नियंत्रण हमारे आहार-विहार और चरित्र की बहुत-सी बुराइयों पर अंकुश लगा देता है। 

परीक्षा भवन 

नई दिल्ली 

12 मार्च 20... 

प्रिय मित्र अंकित 

सप्रेम नमस्कार 

मैं स्वयं सकुशल रहकर आशा करता हूँ, कि तुम भी अपने परिवार के साथ सकुशल जीवन बिता रहे होगे। मित्र! तुम्हारे एक शुभचिंतक से पता चला है कि तुम माँ-बाप से पढ़ाई के नाम पर अधिक पैसे ले रहे हो तथा अपने मित्रों के बहकावे में आकर फिजूलखर्ची कर रहे हो। तुम अनावश्यक वस्तुएँ खरीदकर अपनी आदत खराब कर रहे हो। तुम्हें इस फिजूलखर्ची पर तुरंत नियंत्रण करने की जरूरत है। जिस दिन तुम इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगा लोगे, उस दिन से बाजार से उल्टी-सीधी खाद्य वस्तुएँ खाना बंद कर दोगे तथा तुम्हें छात्रावास का भोजन रुचिकर लगने लगेगा। खाने के नाम पर तुम्हारा बाजार में इधर-उधर घूमना बंद हो जाएगा। बाजार की गलियों में फिजूलखर्ची करते तुम्हें देखकर लोगों का तुम्हारे चरित्र पर उँगली उठाना स्वाभाविक ही है। मैं तुम्हें यही सलाह दूँगा कि तुम अपनी फिजूलखर्ची की आदत बंद करो। इससे बाकी दुष्प्रवत्तियाँ अपने आप समाप्त हो जाएंगी। 

आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि तुम मेरी सलाह अवश्य मानोगे। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। शेष सब ठीक है। 

तुम्हारा अभिन्न मित्र 

प्रशांत सिंह