घट-घट व्यापक राम 



पंजाब में बुल्ले शाह नामक एक संत हो गए हैं। उनका गुरु एक माली था। एक दिन संत अपने गुरु के पास आए और बोले, “आप मुझे ऐसा कोई उपाय बताएँ, जिससे खुदा हासिल हो।" उस समय गुरु खेत में थे और प्याज की गाँठें एक ओर से उखाड़कर दूसरी ओर लगा रहे थे। उन्होंने बुल्ले शाह की ओर देखे बिना ही उत्तर दिया, "खुदा का क्या पाना- इधर से उखाड़ा, उधर लगाना ।”

बुल्ले शाह ने कहा, “आपका आशय मेरी समझ में नहीं आया।” 

गुरु ने पूछा, “जानते हो, खुदा कहाँ है?"

“हाँ वह आसमान में है।" संत ने उत्तर दिया।

“तू कहता है, खुदा आसमान में है, तो उखाड़ उसे आसमान से और जमा दे अपनी छाती में! उखाड़ खुदी के ख्याल को अपनी छाती से और बो दे उसे सब देहों में। ऐसा प्रेम पैदा कर कि दुनिया के सब लोग तुझे ‘मैं' ही नजर आने लगें। खुदी का फना करना और खुदा का पाना एक ही तो बात है ।"

संत संतुष्ट हो वहाँ से चले गए।