नैतिक कहानी "पाप का दान"
एक बार संत जेरोम क्रिसमस की रात को बेतलेहम में घूम रहे थे कि उनके मन में ईसा के बारे में विचार उठने लगे। अचानक उन्हें सामने ईसा एक बालक के रूप में दिखाई दिए। बालक ईसा उनसे बोले, “आज मेरा जन्मदिन है। आप मेरे लिए कुछ उपहार लाए ही होंगे।" जेरोम ने उत्तर दिया, “वैसे तो मेरे पास देने के लिए कोई चीज नहीं है, मगर यह हृदय आपको दे सकता हूँ।” यीशु बोले, “हृदय के अलावा और कुछ नहीं दे सकते?" जेरोम ने उत्तर दिया, "हृदय ही क्यों, मेरा सब कुछ अर्पित है।
आप जो चाहे माँग सकते हैं। बस, आपको प्रसन्न देखना चाहता हूँ।” यीशु ने कहा, “कुछ और दो। इतना काफी नहीं है!” संत बोले, “मेरे पास और कुछ नहीं है। आपकी दृष्टि में यदि कुछ दिखाई दे, तो बता दीजिए, मैं सहर्ष देने को तैयार हूँ।” ईसा मुसकरा दिए, बोले, “तुम्हारे पास देने लायक है और वह है-पाप। तुम अपना पाप मुझे दे सको तो दो, जिससे मैं तुम्हें याद कर सकूँ।”
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