ज़िदगी एक सफ़र है सुहाना 
Zindagi Ek Safar Hai Suhana


करीबन चार वर्ष पहले, जब मैं दिसंबर, 2018 में पहली बार दिल्ली से एक लंबी उड़ान के बाद केरल  पहुँची, तो मेरे लिए यह एक पूरी तरह से अज्ञात क्षेत्र था। न ही इधर कोई जान-पहचान के दोस्त थे, न ही कोई अन्य रिश्तेदार। सब कुछ नया और अनजान था। नई जगह, नई भाषा, नया खान-पान, नए चहरे और नए लोग। बस यदि एक चीज़ नई नहीं थी, तो वह थी मैं खद और मेरे सपने। वह सपने जो कई सालो से धीमी आँच पर पकाए गए थे। और बस उन सपनों ने ही मुझे हिम्मत  व हौसला दिया घर परिवार के प्यार से 3000 कि.मी. दूर एक नई चनौती को स्वीकार करने के लिए। परंतु देखिए  कि यही समय का भी अनोखा ही खेल है। दिन, वर्ष, मास कै से बीते पता ही नहीं चला। पता ही नहीं चला कि कै से मैं केरल  और उसके लोगों से और नज़दीकी से जड़ु ती चली गई। केरल  में प्राप्त हुए हर एक अनुभव ने मेरे जीवन में बेहद मूल्य जोड़ा है और मुझे एक बेहतर इंसान बनाने में योगदान किया है। अनुभवों की बात करें तो सबसे मूल्यवान अनुभव वे थे जो मुझे  ने विगेशन विभाग में तैनात होने के कारण, अपने काम के कारण मिले। उड़ान यानों में नैविगेशन सॉफ्टवेयर के निर्माण पर काम करना और भारत के सबसे उत्कृष्ट मस्तिष्कों से सीखने का मौका पाना तो एक सपना साकार होने के समान ही है। केरल  के सुन्दर अनुभवों के खज़ाने को और सुन्दर कर दिया उन नए लोगों ने, जिन्हें पहली बार मैं यहाँ पर मिली। हर प्रकार के लोग-दयाल, समझदार और कुछ बेहद मज़ेदार। और, इनमें से कुछ लोगों में मुझे  जीवन भर के दोस्त प्राप्त हुए। इसके अलावा मैं तो अब केरल  के खाने की भी शौकीन ही चुकी हूँ । देसी घी में लिपटे हुए घी-रोस्ट डोसा, फिल्टर कॉफी, अलग-अलग प्रकार के तोरन और हॉ, सद्या की तो बात ही अलग है। और मैं पूरी तरह से यकीन कर चुकी हूँ कि केरल  जैसी सुन्दर वाली जगह इस पूरी दुनिया में कोई भी और नहीं है। हरे-भरे पहाड़ों से लेकर खारे समद्रों तक, केरल की सुन्दर धरती अपने आप में ही एक चमत्कार है। केरल  की सुन्दर  जैसा कुछ  भी अन्य नहीं है। केरल  की धरती की सुन्दर  को और भी  अनमोल बनाते हैं यहाँ के लोग और संस्कृति । आई बात भाषा की तो इन चार सालों में मैंने भी थोड़े बहुत मलयालम शब्द सीख लिए हैं। क्या कहते हैं-‘कुछ-कुछ मलयालम’ और भी ऐसी ही कई रोचक शब्द मेरी रोज़ाना शब्दावली का एक हिस्सा बन चुकी है। यह बात स्पष्ट है कि केरल  अपने खू बसूरत स्थानों, प्राकृतिक सौंदर्य और विविध सं स्कृति के लिए मशहूर है और इसकी संस्कृति व लोग मोहित कर लेने वाले हैं। यहाँ के त्योहार, जैसे कि ओणम, विषू भी बहुत दिलचस्प तरीके से मनाए जाते हैं और इनके पीछे बहुत सी कहानियाँ अथवा महत्व भी जुड़े हुए हैं। कभी अगर सोचती हूँ तो हैरानी होती हूँकि ये चार साल कै से पलक झपकते ही गुजर गए। आज भी लगता है  मानों कि अभी वह कल की ही तो बात है, जब केरल  में पहली दफा कदम रखा था और सब कुछ नया व अज्ञात था। और कुछ भी तो, यह चुनौती मुझे  देने के लिए मैं भगवान की आभारी हूँ कि अब वही सब नए चहरों में अपनापन दिखता है, और अब केरल  मुझे  अपने दूसरे घर के समान लगता है।