गैस सब्सिडी 
Gas Subsidy 

1 अप्रैल 2015 से केन्द्रीय सरकार द्वारा गैस सिलेण्डर पर मिलने वाली सब्सिडी को सीधे ग्राहकों के बैंक खाते में जमा करवाने का निर्णय लिया गया है। उपभोक्ताओं को घरेलु गैस सिलेण्डर बाजार के मूल्य पर दिया जाता है और सब्सिडी सीधी ग्राहक के बैंक खाते में जमा करवा दी जाती है। ऐसा माना गया है कि इससे गैस सिलेण्डरों की काला बाजारी पर रोक लगायी जा सकेगी। जनवरी 2016 से वे लोग जिनकी आय 10 लाख रुपये से ज्यादा है उनकी सब्सिडी समाप्त कर दी गई है। 

प्रधानमंत्री मोदी जी ने जनता से अपील की है कि सक्षम लोग अपनी सब्सिडी अपनी इच्छा से छोड़े जिससे कुछ गरीब लोगों को भी रसोई गैस उपलब्ध करवायी जा सके। 2015 तक लगभग 75 लाख लोगों ने रसोई गैस सब्सिडी स्वेच्छा से छोड़ी है।

इस योजना को डी.बी.टी.एल. नाम दिया गया है। इस योजना से एक नाम पर दो यह अधिक कनेक्शन लेने पर अंकुश लगा, तथा इसके अतिरिक्त फर्जी, मृत अथवा अन्य किसी तरह की धोखाधड़ी से कनेक्शन लेने वालों पर अंकुश लगा है।

वास्तव में यह योजना सबका साथ, सबका विकासकी धारणा पर ही आधारित है। इस योजना के अन्तर्गत बचने वाली राशि को वंचित वर्ग के लोगों की शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर खर्च किया जायेगा। तथा अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे शुद्ध जल की आपूर्ति आदि पर भी खर्च की जायेगी।

भारत में लगभग साढ़े तीन करोड़ आय कर दाता है। जिनमें से लगभग 21 करोड़ लोगों की आय 10 लाख से ज्यादा है। इस तरह से 21 लाख लोग रसोई गैस सब्सिडी से वंचित रह जायेंगे। इससे बचने वाली राशि को विकास के अन्य कामों में खर्च किया जाएगा।

इस योजना के अन्तर्गत पहले देश में 16 करोड़ 35 लाख रसोई गैस उपभोक्ता थे जो योजना के लागू होने के बाद 14 करोड़ 78 लाख रह गई है। और इनमें से 75 लाख लोगों ने अपनी सब्सिडी छोड़ दी है। और लगभग 25 लाख लोगो की आय 10 लाख से ज्यादा है अतः वे सब्सिडी के हकदार नही है।

इस योजना से वनों की अवैध कटाई पर भी रोक लगी है। सरकार गाँव-गाँव में रसोई गैस पहुँचाकर जलाने हेतु लकड़ी के दुरूपयोग पर रोक लगाने में सफल हो जायेगी। इससे न केवन वन रक्षा होगी अपितु, कार्बन के उत्सर्जन में भी कमी आयेगी। और गृहणियों के लिए समय की बचत भी होगी और सुविधा भी बढ़ जायेगी।

इस मद में बची हुई राशि का उपयोग वंचित समूहों को आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध करवाकर स्वस्थ और शिक्षित मानव शक्ति तैयार की जा सकेगी। समतामूलक सामाजिक विकास की तरफ यह एक नवीन कदम होगा जो कि सामाजिस विषमता की खाई को भरने का काम करेगा।