संयुक्त राष्ट्र संघ 
Sayukt Rashtra Sangh

उन्नीसवीं सदी में यूरोपीय देशों में महायुद्ध हुआ। यह युद्ध 1914 से 1918 ई. तक चला। इस युद्ध को प्रथम विश्वयुद्ध के नाम से जाना जाता है। यूरोपीय देशों को इससे बहुत हानि हुई। जिन देशों ने इस महायुद्ध में भाग लिया उन्हें तो कई संकटों का सामना करना ही पड़ा। लेकिन जिन्होंने इसमें भाग नही लिया वे भी इसके प्रभाव से अछूते नही रह सके।
युद्ध की इस विभीषिका देखकर भविष्य में ऐसे युद्धों से बचने के लिए एक संस्था की स्थापना की गई। इस संस्था का नाम रखा गया था- संयुक्त राष्ट्र संघ। इसका प्रमुख कार्य अंतर्राष्ट्रीय मसलों को सुलझाना था। दो दशकों तक तो इस संस्था ने सफलतापूर्वक अपना कार्य किया। इसके पास अपने फैसले मनवाने के लिए कोई सैन्य शक्ति नही थी।

प्रयास करने के बाद भी कुछ देशों के विवाद सुलझाने में यह सफल नही हो सका। और 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध ने दस्तक दे ही दी। यह युद्ध 1945 तक चला। इस युद्ध में अपार जन-धन की हानि हुई। इस युद्ध के समाप्त होने से पहले ही राष्ट्रों ने विश्व में शान्ति स्थापना की योजना बना ली थी। उनके प्रयत्नों से 24 अक्टूबर, 1945 को एक अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘संयुक्त राष्ट्र संघ‘ की स्थापना की गई है। इसका उद्देश्य अंतराष्ट्रीय विवादों को शान्तिपूर्ण तरीके से सुलझाना है।

संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य विभिन्न देशों के बीच शान्ति की स्थापना करना तथा उनकी प्रगति में यथासंभव सहायता करना है। जून 1945 तक इसका संविधान भी बनाया जा चुका था। इस संविधान के जरिए संयुक्त राष्ट्र संघ को वैसे ही अधिकार दिये गए है जैसे कि एक देश को अपने संविधान द्वारा दिये जाते है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्नलिखित हैं-
सभी प्रकार के साधनोें का प्रयोग कर किसी राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र पर आक्रमण करने से रोककर अंतर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा स्थापना करना।

समानता और आत्म निर्णय के अधिकार के आधार पर राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों विकास करना ।

अंतर्राष्ट्रीय आधार पर राष्ट्रों के मध्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानव सम्बन्धों का विकास करना।

नस्ल, जाति, धर्म, भाषा लिंग और अन्य किसी समूह को महत्त्व ना देकर मानव अधिकारों या आधारभूत स्वतंत्रताओं का सम्मान करने की भावना का विकास करना।संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख संस्थायें है-

सुरक्षा परिषद- यह परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ के सभा मसलों पर फैसला लेती है।इसके बजट को पास करती है तथा जो देश इसके निर्णयों को नही मानते हैं, उनसे इसकी सदस्यता छीन लेती है। नये सदस्य राष्ट्रो को इसकी सदस्यता देना या न देने का निर्णय लेती है। तथा उसकी सभी समितियों के कार्य पर नियंत्रण रखती हैै।

सुरक्षा परिषद- इसके 5 देश स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन। इनके अलावा 10 सदस्य देशों का निर्वाचन साधारण सभा द्वारा किया जाता है। इनका कार्यकाल 2 वर्ष तक रहता है। स्थायी सदस्यों को ‘वीटो‘ का अधिकार प्राप्त है। इसके प्रारंभ होने पर परिषद इन देशों को युद्ध रोकने के आदेश देती है।और जरूरत पड़ने पर यह शक्ति का प्रयोग करके सदस्य राष्ट्रों की सेना की सहायता से करती है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय- इस न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं। इनका चुनाव साधारण सभा और सुरक्षा परिषद द्वारा किया जाता है। इनमें 1/3 प्रतिनिधि प्रति 3 वर्ष में बदल जाते है। यह न्यायालय अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों को निपटाता है। अन्य 3 संस्थाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में संघ की सहायता करती है। भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर युद्ध पर इसने ही विराम लगाया। उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के मध्य हुए युद्ध पर भी रोक लगाने में यह सफल रहा।

जब संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी तो इसके लगभग 50 देश परतंत्र थें। उनकों स्वतंत्रता दिलाने में भी इसने बहुत सहायता की है।विश्व में तनाव को दूर रखने तथा कई बार तो सशस्त्र आक्रमण को रोकने मंे भी यह सफल रहा है। आशा है कि भविष्य में सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यो की संख्या में वृद्धि होगी और भारत भी स्थायी सदस्यों के रूप में जाना जाये।