बिना चीर-फाड़ के ऑपरेशन 

Operation without Surgery or Cutting

आजकल कई साधु-ठग अपने हाथ की सफाई से भोलेभाले पेट के सामान्य रोगियों को बहका देते हैं कि उनके पेट में पथरी (Stone) है और कहते हैं कि 'आओ, हम उसे बिना चीर-फाड़ (ऑपरेशन) के बाहर निकाल देते हैं। बस, फिर क्या, वे पूजा-पाठ करके जितनी ठगी कर सकते हैं, कर लेते हैं। तो ये बिना ऑपरेशन के पथरी निकालकर जनता को कैसे लूटते हैं ? यह भी हाथ की सफाई और निम्न रासायनिक क्रिया का जादू मात्र है।


होता यह है कि ये विशेष अस्वस्थ व्यक्ति की मनःस्थिति को इस तरह बदलने में सफल हो जाते हैं कि उसके पेट में सचमुच पथरी है और यह पथरी ही उसके रोग का कारण है। अस्वस्थ व्यक्ति उसके बहकावे में आ जाता है। अब देखिए, वह कितनी सफाई से ऑपरेशन कर रहा है। दरअसल, वह सर्वप्रथम त्वचा साफ करने के बहाने रोगी के पेट पर चूने का पानी लगा देता है और यह कहकर कि हलदी दर्दनिवारक है, हाथ में ले लेता है। अब वह हलदी को उसके पेट पर धीरे-धीरे मलता है। यहाँ पहले से लगा चूने का पानी हलदी से रासायनिक क्रिया कर लाल खून जैसा रंग बना देता है।

ढोंगी साधु झूठ-मूठ मंत्र पढ़ने का स्वाँग करता हुआ मुँह से कुछ बड़बड़ाता जाता है। वह चूने का पानी डालते हुए पोंछता जाता है, जिससे नकली खून साफ हो जाता है। इस बीच हाथ की सफाई से एक छोटी-सी कंकरी उसके पेट पर मलते हुए निकालकर दिखाता है और सबकी वाहवाही लूटता है। पेट पर चीर-फाड़ का कोई निशान नहीं देख वह भोलाभाला मरीज यही सोचता है कि बिना ऑपरेशन किए उसके पेट से पथरी निकल गई है। वह साधु साथ में एक गिलास जल भी मरीज को पिलाता है, जिसमें पेटदर्द की 'बेलारगन' गोली के साथ शरबत मिला होता है। थोड़ी देर में पेटदर्द स्वतः शांत हो जाता है।

यह जादू सिर्फ हाथ की सफाई ही नहीं, एक रासायनिक क्रिया है; जिसमें चूने का क्षार हलदी के प्राकृतिक पीले रंग को लाल रंग में बदल देता है। इसमें पेटदर्द की गोली भी अपना काम साथ-साथ करती है।