अपने मित्र को पत्र लिखकर अजायब घर में अपने भ्रमण का वर्णन करें।
40-राजिन्द्र नगर,
लुधियाना।
अप्रैल 10, 20...
मेरे प्यारे कपिल,
आशा है कि तुम्हारा हालचाल ठीक होगा। पिछले हफ्ते मैं कलकत्ता गया
हुआ था। कल ही मैं वापिस लौटा हूँ। मेरे अंकल जी खाली थे. इसलिए मुझे अजायब घर ले
गए। मैं तुम्हें अजायब घर के भ्रमण के बारे में बताता हूँ।
अजायब घर में जाना बहुत हो जानकारी वाला अनुभव था। इससे आपको आपके
सभ्याचार तथा इतिहास को जानकारी मिलती है। हमने टिकटें खरीदों तथा अन्दर चले गए।
उसने हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां देखीं।
वे जीवन्त लग रही थीं। हमने मुगल कला के कुछ दुर्लभ नमूने देखे। हमने
गुप्त तथा मौर्य काल की कुछ वस्तुएं भी देखीं। वहां तलवारें, तीर तथा शव पड़े
हुए थे। सभी वस्तुएं दुर्लभ प्रकार की थीं।
अंत में हमने कैंटीन देखी। इस दौरान हम थक चुके थे। हमने वहां ठंडे
पेय पिए। आखिरकार हम घर आ गए। अजायब घर में मेरा भ्रमण मेरे लिए एक बहुत ही खास
अनुभव था।
बाकी सब ठीक है। अपने माता-पिता को मेरी शुभकामनाएं देना।
शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
हरमीत
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