अपने मित्र को उसके माता जी की मृत्यु पर दुःख प्रकट करते हुए एक पत्र लिखें।

53-मिशन रोड,
पठानकोट।
जनवरी 29, 20...

मेरे प्रिय सुरिन्द्र,
तुम्हारी माता जी की मृत्यु की अचानक खबर सुनकर मुझे झटका लगा। उनकी मृत्यु मेरे स्वयं के लिए एक बड़ा नुकसान है। जब भी मैं तुम्हारे घर आता था, वे मुझे अपने
पुत्र की तरह प्रेम करती थीं। वे इतनी दयावान तथा बड़े दिल वाली थी कि कोई सोच भी नहीं सकता था कि उनका अन्त इतना करीब है। कुछ पलों के लिए तो मैं इस दुःखद घटना पर विश्वास ही नहीं कर सका।

वे एक धार्मिक स्त्री थीं। वे ईश्वर से डरती थीं। हर रोज़ मन्दिर जाया करती थीं। घर में उनकी उपस्थिति तुम्हारे लिए वरदान समान थी। वे तुम्हारे लिए एक दोस्त तथा राह दिखाने वाली स्त्री थीं। उन्होंने सदा तुम्हें अच्छा करने के लिए प्रेरित किया तथा तुम्हे गलत काम करने से रोका। यह तुम्हारे परिवार के लिए कभी न पूरा होने वाला घाटा है।

किन्तु सबसे ऊपर यह है कि मृत्यु सबसे बडा सत्य है। मुझे गहरे हृदय से तुमसे तथा तुम्हारे परिवार के साथ सहानुभूति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
सहानुभूति सहित।

तुम्हारा विश्वासपात्र,
गुरजीत।