मेरा भारत महान
Mera Bharat Mahan

 

प्रस्तावना

 

मैं भारत का वासी हूं, मेरा कृषि प्रधान भारत महान है । जहाँ पुरातन युग में यह आर्यावत नाम से पुकारा जाता था, वहाँ सोने की चिड़िया नाम से भी अपनी पहचान बनाए हुआ था । महाप्रतापी राजा दुष्यंत के महावीर पुत्र भारत के नाम पर ही मेरे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा है । 80 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। 60 प्रतिशत आबादी युवा वर्ग की है और प्रत्येक युग एवं देश का भविष्य युवा होता है।

यहां भूमि को मिट्टी के समान नहीं मां के समान देखा जाता है और पूजा जाता है. भारत की संस्कृति कई हजारों वर्ष पुरानी है कोई देश केवल उसके भू-भाग से नहीं बनता, बल्कि वहां पर रहने वाले लोगों से बनता है उनके विचारों और कार्यों से बनता है | हमारे पूर्वजों ने बड़े संघर्षों के बाद आजादी का तोहफा हमें दिया। जिसकी सुरक्षा हमारा परम कर्तव्य है। नैतिक, मूल्यों एवं संस्कारों का बड़ा महत्व है।

मेरा भारत देश कृषि प्रधान देश

 

मेरा भारत देश कृषि प्रधान देश है यहां पर हर तरह के अनाजौ की पैदावार होती है जेसे मक्का ,ज्वार ,गेंहू ,बाजरा ,इत्यादि ,मेरा भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही कि जा रही है | हमारी आबादी का सत्तर प्रतिशत कृषि पर निर्भर करता है। हमारी राष्ट्रीय आय का एक तिहाई कृषि से आता है। हमारी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। कृषि का विकास हमारे देश के आर्थिक कल्याण के साथ बहुत कुछ करना है।हमारी कृषि लंबे समय तक विकसित हुई है। हमने अपने लोगों के लिए पर्याप्त भोजन नहीं बनाया था हमारे देश को अन्य देशों से अनाज खरीदना पड़ा, लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। भारत अपनी जरूरतों से अधिक अनाज का उत्पादन कर रहा है कुछ खाद्यान्नों को अन्य देशों में भेजा जा रहा है।

मेरे भारत की संस्कृति

 

भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। इससे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। मेरे भारत की संस्कृति अनेकता में एकता पर आधारित है यह अनेकता में एकता एक शब्द ही नहीं बल्कि यह भारत देश की संस्कृति और विरासत में पूरी तरह लागू होता है | संस्कृति का क्षेत्र सभ्यता से कहीं व्यापक और गहन होता है। जीने की कला हो या विज्ञान और राजनीति का क्षेत्र, भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किन्तु भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है।

मेरे भारत का कानून

 

हमारे देश में अब भी जनता की सरकार है। मेरे भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों के लिए सामान्य आचरण का पालन करें इसके लिए कुछ नियम बनाए गए है ,जिसका पालन करना मेरे भारत के हर नागरिक को के लिए आवश्यक है जो इसका पालन नहीं करता उसके लिए मेरे भारत में न्यायपालिका द्वारा दंड निर्धारित किया गया है ,मेरे देश में लोकतंत्र है. मेरे देश में सभी के लिए समान कानून लागू होता है और उसका पालन करना मेरे देश के हर नागरिक को के लिए आवश्यक है |

मेरे भारत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी में स्थान

 

भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है।  हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंधु घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। आज विज्ञान का स्वरूप काफी विकसित हो चुका है। पूरी दुनिया में तेजी से वैज्ञानिक खोजें हो रही हैं, परंतु इस दौड में मेरा भारत भी पीछे नहीं है मेरे भारत में वैज्ञानिक खोजों के लिए कई वैज्ञानिक शामिल है जिसमें सी.वी. रमण ,जगदीश चंद्र बसु, श्रीनिवास रामानुजन ,और भी कई वैज्ञानिक हुए | इन्होने भौतिकी विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, खगोलीय विज्ञान ,सभी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है और मेरे देश का नाम रोशन किया है |

मेरे भारत की नदियां और राज्य

 

भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा, और उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा, कावेरी, महानदी, आदि नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं।मेरे भारत की नदिया पूजनीय है , मेरे भारत में कुछ ऐसे राज्य हैं जिन्होंने कई खनिजों को अपनी गोद में समेटे हुए हैं, कश्मीर, नैनीताल, शिमला ,कुल्लू मनाली ,जैसे ऐसे राज्य जिनकी प्राकृतिक सुंदरता किसी स्वर्ग से कम नहीं है|

उपसंहार

 

 मेरे देश की जो सुंदरता है उसकी जितनी भी तारीफ की जाये वो कम है। आज मेरा भारत देश जिसे एक सोने की चिड़िया कहा जाता था उस सोने की चिड़िया को अंग्रेज चुरा कर ले गए थे ,परंतु आज मेरे भारत ने अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से वही स्थान प्राप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी मुझे मेरे देश पर गर्व है | हमारे महाद देश की संस्कृति हमें अतिथि देवों भवः सिखाती है अर्थात यह हमें अतिथियों का सत्कार और उनका उच्च सम्मान करना सिखाती है। हमारे देश की विभिन्नता में एकता ही इसे सबसे महान बनाती है।

"जिसकी सुहानी सुबह और सुहानी शाम है .

हर दर्द वो सह गया ,पर आज भी मेरा भारत महान है।"