समाचार पत्र 
Newspaper

जिज्ञासा व अभिव्यक्ति के क्षेत्र में समाचार पत्रों का प्रमुख स्थान है। वर्तमान युग की नवीन देनों में समाचार पत्र अपनी विशेष भूमिका निभाता है। बुद्धिजीवी वर्ग की जीवनचर्या समाचार पत्रों के अभाव में अधरी रह जाती है। मानसिक व बौद्धिक क्षुधा को शांत करने के लिए प्रात:काल से ही समाचार पत्र की प्रतीक्षा होने लगती है। समाचार पत्र के बिना सुबह नीरस लगने लगती है। समाचार पत्र पढ़ने का शौक नगरों से होता हुआ धीरे-धीरे गाँवों तक पहुँच गया है। वहाँ भी चाय की दुकानों पर लोगों को अखबार पढ़ते व रुचिपूर्वक सुनते देखा जा सकता है।

समाचार पत्रों के प्रकाशन का इतिहास जानने के लिए रोम में जूलियस सीजर के समय में जाना होगा। वहाँ सर्वप्रथम हस्तलिखित जनघोषणाएँ। जारी करना शुरू किया गया, इन्हें 'अक्टा डिउरना' कहा जाता था। इसका अर्थ था-दिनभर की घटनाएँ। इसमें सीनेट की बहस का वर्णन भी होता था। इन्हें दीवारों पर भी यहाँ-वहाँ लगा दिया जाता था। चीन में 15वीं सदी से पूर्व ही छपाई कला विकसित हो चुकी थी। 15वीं शताब्दी तक यूरोप में भी छपे हुए विवरण संचार के प्रमुख साधन बन गए थे। आरंभिक समाचार पत्र सोलहवीं शताब्दी में निकले। अर्थ, व्यापार तथा राजनीति इनके प्रमुख विषय थे। 1513 में युद्ध-संबंधी समाचारों का भी पत्र निकला। सन 1609 में जन सामान्य की रुचि का प्रथम समाचार पत्र जर्मनी में निकला, इसका नाम 'अविका रिलेशंस ओडर जोइतुंग' था।

भारत में छपाई का काम सन 1550 में पुर्तगाली मिशनरियों ने शुरू। किया। सन 1780 में जेम्स अगस्टस हिकी ने 'बंगाल गजट' नामक समाचार पत्र का प्रकाशन आरंभ किया। यह पत्र राजनैतिक तथा व्यावसायिक दृष्टि से छापा गया था। इस समय ईस्ट इंडिया कम्पनी का आधिपत्य था। इस समाचार पत्र के विज्ञापन व समाचार तत्कालीन सरकार को पसंद नहीं आए। इस पत्र के संपादक जेम्स अगस्टस को सजा हुई, परंतु धीरे-धीरे अन्य समाचार पत्र भी छपने लगे। हालाँकि अब सरकारी तौर पर खबरों का सेंसर भी आरंभ हो चुका था।

पहले समाचार पत्र का प्रकाशन गंगाधर भट्टाचार्जी ने किया। यह बंगला भाषा में था।' बंगाल गजट' से प्रभावित होकर अनेक लोग समाचार पत्र प्रकाशन के मैदान में कूद पड़े। धीरे-धीरे समाचारों के साथ-साथ। समाचार पत्र का प्रयोग जन-जागरण के लिए होने लगा। समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों के विरोध में खुलकर लिखा जाने लगा। अनेक भाषाओं में समाचार पत्र छपने लगे जिनमें सरकारी नीतियों की खुलकर निंदा की जाने लगी। सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन से समाचार पत्रों के विकास को धक्का लगा तथा प्रेस के लिए कड़े कानून भी बना दिए गए।

समाचार पत्रों का प्रकाशन तब भी जारी रहा। दादा भाई नौरोजी, सुरेंद्र नाथ बनर्जी, करमचंद गांधी आदि ने सामाजिक बुराइयों के विषय में प्रकाशन जारी रखा। अब प्रेस विदेशी शासन के खिलाफ एक हथियार के रूप में प्रयोग में लाई जाने लगी। बाल गंगाधर तिलक, शिशिर कुमार घोष जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने समाचार पत्र निकाले। इनमें केसरी, लिबर्टी, वन्देमातरम, अलहिलाय, इंडियन रिव्यू, स्वराज्य आदि अब भी चल रहे हैं।

समाचार पत्रों में दैनिक, पाक्षिक व मासिक में से दैनिक समाचार पत्र सर्वाधिक लोकप्रिय होते हैं। समाचार पत्र किसी भी राष्ट्र की प्रगति के आधार स्तंभ हैं। इनमें देश-विदेश के समाचार, ज्ञान, मनोरंजन, खेल, व्यापार, अर्थ, धर्म, दर्शन, कला संस्कृति तथा विज्ञापन सबका समावेश होता है। समाचार पत्र में प्रत्येक प्रकार के समाचारों के लिए पृष्ठ निर्धारित होते हैं। विज्ञापन भी सामान्य व वर्गीकृत दोनों प्रकार के होते हैं। संपादकीय समाचार पत्र की आत्मा होता है। रविवार के दिन सभी समाचार पत्र कहानी, लेख, चित्रकथा, हास्य-व्यंग्य, कविता, चुटकुले आदि से युक्त पत्रिका निकालते हैं जिसमें समाज के प्रत्येक आय व वर्ग के लोगों की रुचि की सामग्री प्रकाशित की जाती है।

आजकल समाचार पत्र सभी भाषाओं में बहुतायत में प्रकाशित किए जा रहे हैं। प्रत्येक समाचार पत्र में प्रकाशन हेतु संपादन व मुद्रण अलगअलग विभाग होते हैं। समाचार पत्र कार्यालयों में समाचार कक्ष का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। यहाँ देश-विदेश के समाचार टेलीफोन, टेलीप्रिटर, फैक्स, इंटरनेट आदि पर संवाददाताओं द्वारा भेजे जाते हैं। समाचार प्रेस विज्ञप्तियों के माध्यम से भी प्राप्त होते हैं। सरकारी कार्यालय, विभिन्न प्रतिष्ठान व संस्थाएँ अपने कार्यों तथा योजनाओं को विज्ञप्तियों द्वारा जारी करते रहते हैं। कुछ समाचार संवाददाता तथा समाचार-ऐजेंट जमा करते हैं।

समाचार एकत्रित करना तथा विभिन्न समाचार पत्रों को भेजने का कार्य विभिन्न ऐजेंसियाँ भी विशाल स्तर पर कर रही हैं। भारत में य.एन.आई. पी.टी.आई., समाचार भारती, हिंदुस्तान समाचार, भाषा, ए. पी. राइटर्स आदि ऐजेंसियाँ इस कार्य में जुटी हैं। सब प्रकार से प्राप्त समाचारों को कार्यालय में उपस्थित उपसंपादक तथा मुख्य उपसंपादक काट-छाँटकर प्रकाशन हेतु बनाते हैं। सब पृष्ठों के लिए अलग-अलग कर्मचारी समाचार तैयार करते हैं। हर पृष्ठ की सज्जा का ध्यान रखते हुए समाचार, फोटो तथा विज्ञापनों का प्रारूप तैयार किया जाता है। सही शीर्षक तैयार करना, उन्हें सही आकार देना आदि प्रमुख कार्य होते हैं। समस्त समाचार पत्र अनेक लोगों के विभिन्न प्रकार के कार्यों का मिश्रित व संगठित रूप होता है जिसमें संवाददाता, समाचार संपादक, चित्र संपादक, कम्प्यूटर कक्ष तथा मुद्रण कक्ष। की मिश्रित कला व कुशलता निखरकर सामने आती है।

इस प्रकार समाचार पत्र हमें विभिन्न प्रकार के समाचार ही नहीं देते अपितु संपादकीय टिप्पणियों के द्वारा राजनैतिक व अन्य पेचीदा गुत्थियों को सुलझाने का ज्ञान भी देते हैं।

प्रत्येक समाचार पत्र के अपने सिद्धांत व नियम होते हैं; परंतु यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय उत्थान व जनमत तैयार करने की दिशा में समाचार पत्रों की प्रमुख भूमिका होती है। समाचार पत्र जनहित के सजग प्रहरी हैं। इनकी शक्ति के समक्ष सभी राजनैतिक शक्तियाँ पानी भरती हैं। जन साधारण की आवाज़ को बुलंद करने वाले इस सशक्त माध्यम का मानव सभ्यता के विकास में प्रमुख योगदान है।