गणतंत्र दिवस 
Republic Day


सदियों की गुलामी के बंधन को भारतीयों ने अपने अभूतपूर्व धैर्य, साहस, त्याग व तपस्या के बल पर तोड़ा तथा ब्रिटिश साम्राज्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंका।

इतिहास साक्षी है कि भारतीय अपनी स्वतंत्रता के लिए निरंतर संघर्षरत रहे। रणकेसरी प्रताप, शिवाजी. दर्गादास राठौर, गुरु गोविंद सिंह आदि का नाम भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है। नवाब सिराजुद्दौला, हैदरअली, टीपू सुल्तान, नाना फड़नवीस, रणजीत सिंह आजीवन मातृभूमि के लिए अपना बलिदान करते रहे। सन 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम छिडा। महारानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बहादुरशाह सफर आदि ने अपने शौर्य प्रदर्शन द्वारा अंग्रेजी सत्ता की नींव हिला दी। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय, महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र, चंद्रशेखर, भगत सिंह जैसे लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर मृत्यु का आलिंगन किया तथा सन 1929 के अधिवेशन में देखा गया पूर्ण स्वराज का खन पूरा हुआ।

सन 1947 में हमारा देश आजाद हुमा। देश का अपना संविधान बनाया गया। 26 जनवरी, 1950 के दिन भारतीय संविधान लागू हुआ। इस दिन भारत को पूर्ण गणराज्य घोषित कर दिया गया। समस्त भारतीयों को संविधान में समान अधिकार प्रदान किए गए। 26 जनवरी, 1950 से लेकर आज तक हम इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते आ रहे है। देश के उत्थान व मान-मर्यादा के प्रति यहाँ का प्रत्येक नागरिक जिम्मेदार है। भारत के इतिहास में यह दिन निश्चित रूप से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि लंबे संघर्ष के बाद भारतीयों ने स्वतंत्र देश में अपना संविधान, अपने कानून लागू कर स्वतंत्र जीवन का आनंद लेना आरंभ किया था।

26 जनवरी हमारा राष्ट्रीय पर्व है। यह दिन हमें सहस्रों भारतीयों के बलिदानों का स्मरण कराता है। भारतीयों ने अपने सम्मान व स्वतंत्रता की खातिर हंसते-हंसते फांसी के फंदे को स्वीकार किया था। देश की स्वतंत्रता का यह पर्व भारतीय प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाते हैं।

देश के समस्त राज्यों में गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरकारी तौर पर अनेक जुलूस व परेड आदि के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता। है। राज्यों की राजधानी में झंडाभिवादन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्कूल, कॉलिजों के छात्र इनमें उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। राज्य तथा जिले के मुख्यालयों में पुलिस की परेड होती है। सभी शासकीय भवनों पर राष्ट्रीय झंडा फहराया जाता है। विदयालयों में भी तरह-तरह के उत्सव मनाए जाते हैं।

देश की राजधानी दिल्ली में इस अवसर पर भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड की तैयारियाँ लगभग एक माह पहले ही आरंभ हो जाती हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या का राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं।

26 जनवरी के दिन लोग सुबह से ही राजपथ के दोनों ओर एकत्रित होने लगते हैं। प्रधानमंत्री इंडिया गेट जाकर 'अमर जवान ज्योति' पर देश के लिए शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। कुछ ही क्षण बाद राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ वहाँ पधारते हैं। यहाँ पर देश के जाने-माने नेता, मंत्रीगण, देश के नागरिक उपस्थित होते हैं। राजपथ के दोनों ओर दूर-दूर तक अपार जनसमूह दृष्टिगोचर होता है।

21 तोपों की सलामी देने के बाद परेड आरंभ होती है। राष्ट्रपति परेड की सलामी लेते हैं। वायुसेना के हेलीकॉप्टर विजय पथ पर गुलाब की पंखड़ियाँ बरसाते हुए निकल जाते हैं। परेड में पहले जल सेना, थल सेना व वायु सेना के जवान अपने-अपने बैंड की मधुर ध्वनि पर मार्च करते हुए निकलते हैं। एक-सी पोशाक पहने सभी के एकसाथ हिलते हाथपैर यंत्रवत दिखाई पड़ते हैं। उसके बाद तीनों सेनाओं के अस्त्र-शस्त्र, टैंकतोप तथा अति आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया जाता है। ये सब भारतीय सैनिक उन्नति व शक्ति के द्योतक हैं। हाथी, घोड़े तथा सजे हुए ऊँटों पर सवार सैनिक दस्तों की वेशभूषा व एकरूपता सबका मन मोह लेती है। इनके बाद दिल्ली तथा अन्य राज्यों के एन.सी.सी. के छात्र व छात्राएँ भी अपने-अपने मधुर गीत गाते व बैंड बजाते निकलते हैं।

विभिन्न राज्यों के लोकनर्तक तथा राज्यों की मनमोहक झाँकियाँ परेड का विशेष आकर्षण होती हैं। इन झाँकियों में राज्य की खेती-बाड़ी, उपज, लोकजीवन, भौगोलिक समृद्धि या उत्सव आदि का प्रदर्शन किया जाता है। इन्हें बनाने में महीनों लग जाते हैं। ये उस राज्य के जनजीवन का प्रतिनिधित्व करने वाले दाय होते हैं। लोकनर्तकों के नृत्य व वेशभूषा अपने-अपने राज्य की विशिष्ट छवि प्रस्तुत करते हैं। यह परेड राजपथ से होती हुई लालकिले तक जाती है।

परेड के अंत में रंग-बिरंगे गैस के गुब्बारे आसमान में छोड़े जाते हैं। ऊँचे उठते ये गब्बारे हमारी उच्च आकांक्षाओं और प्रगति के प्रतीक स्वरूप छोड़े जाते हैं। वायुसेना के जहाज अपने करतबों से दर्शकों को विस्मित। कर देते हैं।

गणतंत्र दिवस की संध्या पर राष्ट्रीय भवनों पर रोशनी की जाती है। स्थान-स्थान पर कवि सम्मेलनों व मुशायरों का आयोजन किया जाता है। गणमान्य जनों तथा विशिष्ट अतिथियों को राष्ट्रपति की तरफ से दावत दी। जाती है।

गणतंत्र दिवस भारतीयों को उनके स्वतंत्रता संग्राम व देश के प्रति कर्तव्यों का स्मरण दिलाता है और प्रेरणा देता है कि हम कर्तव्य व निष्ठा से देश को उन्नति व समृद्धि के पथ पर अग्रसर करें।