सादा जीवन उच्च विचार 

Sada Jeevan Ucch Vichar

Essay # 1

अपने अच्छे आचार-विचार में मनुष्य को धन, यश, आच सय प्राप्त होत हैं। भारतीय संस्कृति में सदा सदाचार की महिमा का गुणगान किया गया। सदाचार शब्द सत् - आचार - इन दो शब्दों के मेल से बना है। सदाचार का अर्थ है- अच्छा आचरण आचरण व्यक्ति तथा मान दान।

व्यक्ति सामाजिक जीव है। उसका हरेक कार्य बहुजन हिताय होना चाहिए। प्रत्येक समाज के अपने नियम होते हैं। उन्हीं के अनुरूप किया गया व्यवहार सदाचार कहलाता है। इसका मानवीय जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। सदाचार में अनेक गुणों का समावेश होता है। सदाचार से समाज की व्यवस्था बनी रहती है। समस्त समाज को सुखमय बनाने हेतु सदाचार का पालन अत्यंत आवश्यक है।

सदाचार सामाजिक प्रतिष्ठा, उपलब्धियों की आधारशिला है। सत्यभाषण, उदारता, विनम्रता, मधुरवाणी, सहानुभूति, दया, अनुशासन आदि सदाचार के प्रमुख गुण हैं। सदाचार से न केवल व्यक्ति के चरित्र में ही अनेक गुण आते हैं अपितु उसकी आत्मा भी अलौकिकता से दीप्तिमान हो उठती है। सदाचारी व्यक्ति स्वस्थ तन, परिष्कृत बदधि और मन का अधिकारी होता है।

सदाचारी व्यक्तियों के विचार शुद्ध और संकल्प दृढ़ होते हैं। वे संसार में सुख-शांति का प्रसार करते हैं। सदाचार निरंतर सुख व शांति को जन्म देता है। सदाचारी व्यक्ति प्रत्येक कार्य मानव हितार्थ कर न केवल प्रतिष्ठा का अधिकारी बनता है वरन उसका अनुसरण कर अन्य व्यक्ति भी सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाते हैं। किसी भी समाज में सदगुणों का प्रचार-प्रसार करने में इन लोगों की विशिष्ट भूमिका होती है।

सदाचारी व्यक्तियों का आचरण समाज में उज्ज्वल उदाहरण बन जाता है। लोग उनके कार्यों के उदाहरण देते हैं। सदाचार से व्यक्ति के व्यक्तित्व का उज्वल पक्ष निखरकर सामने आता है। सदाचारी व्यक्तियों की कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और संयम समाज में आदर्श स्थापित करते हैं। महाराणा प्रताप, शिवाजी, लक्ष्मीबाई, स्वामी दयानंद सरस्वती, राजा राम मोहन राय, मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी जैसे सहस्रों महापुरुष अपने अलौकिक सदाचार तथा विशिष्ट गुणों के कारण ही अमर हो गए।

प्रत्येक समाज के सदाचार के नियम अलग-अलग होते हैं, परंतु बड़ों का आदर, अच्छा व्यवहार, जन हितार्थ कार्य करना, अनुशासन का पालन करना आदि बातें हर समाज में अच्छी मानी जाती है। गोष्ठी, सभा, उत्सवों में हर देश के अपने-अपने रीति रिवाज होते हैं। मुसकराकर उन देना, अतिथि का सत्कार करना, किसी की बात या निजी जीवन में हस्तक्षेत्र न करना, किसी की चीजों को न छना आदि बातें संसारभर के लोगों में सदाचार में शामिल की जाती हैं।

सदाचार के पालन से ही व्यक्ति व समाज दोनों उन्नति करते हैं। समाज की व्यवस्था बनाए रखने में सदाचार का बहुत योगदान है। यदि विद्यालय में सदाचार का पालन किया जाएगा तो सब तरफ सुव्यवस्था रहेगी, अध्यापक सही प्रकार से शिक्षण कर पाएंगे, विद्यार्थियों का आपस। में प्रेम व सौहार्द बना रहेगा। यदि सदाचार का पालन न किया जाए तो। कक्षा में अव्यवस्था रहने से न तो पढाई हो पाएगी, न सफाई रहेगी और। न ही अन्य गतिविधियाँ हो पाएंगी। इसी प्रकार घर तथा समाज में भी । युग, हर काल में सदाचार की आवश्यकता रही है। 

सदाचार की व्यक्तिगत जीवन में भी बहुत उपयोगिता है। सदाचारी व्यक्ति नियमों का पालन करता है, सबसे मधुर आचरण करता है। अतेव उसके कार्य निर्बाध गति से होते रहते हैं। सदाचारी व्यक्ति के घर का। समस्त वातावरण ही शिष्ट बन जाता है। इसके विपरीत जो व्यक्ति कट। वचन बोलता है, नियमों का पालन नहीं करता, उसके पग-पग पर संकट उत्पन्न होते रहते हैं। हम जैसा व्यवहार दसरों से करते हैं. दसरे भी हमसे वैसा ही व्यवहार करते हैं। सदाचारी व्यक्ति सदा दूसरों से प्रेम व सम्मान पाता है। इससे उसका हृदय सदा प्रफुल्लित रहता है। वह अपने सब काय । मन लगाकर करता है तथा जहाँ भी कदम रखता है, सफलता उसके कदम चूमती है।

सदाचारी व्यक्ति शांत, शीतल, मंद बयार की भाँति सखदायी होता है। सदाचार से न केवल दूसरों का हित होता है अपित स्वयं के जीवन में भी सुख-शांति रहती है। कारण, सदाचारी व्यक्ति ईर्ष्या-द्वेष जैसी दुर्भावनाओं से सदा दूर रहता है। अहित चाहने वाला दूसरों के साथ स्वयं को भी कष्ट पहुँचाता है।

सदाचारी व्यक्ति समाज का उद्धार करने वाले नियमों को अपनाता है। उसका न केवल बाहरी आचरण अपितु मन भी शुद्ध होता है। यह सदा अपने विचारों को सुसंस्कृत बनाने की दिशा में प्रयत्नशील रहता है। उसे अपनी वाणी व भावनाओं पर नियंत्रण रहता है।

सदाचार से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है। सदाचारी व्यक्ति पीड़ाग्रस्त विश्व को मुसकान दे सकता है। सदाचार व्यक्ति के बाहय दोषों को छिपा देता है। कुरूप व्यक्ति भी अपने आचार-विचार से सबको मोहित कर लेता है। इसीलिए शेक्सपियर ने कहा था- तुम्हें जो चाहिए, उसे अपनी मुसकान से प्राप्त करो, न कि तलवार के ज़ोर से।

सदाचार वह मार्ग है जो व्यक्ति को सम्मान, प्रतिष्ठा तथा सफलता तक पहुँचाता है। इस मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति स्वयं तथा समाज का हित कर अपना जीवन सफल बनाता है। परिवर्तनशील समाज में उन्नति का अधिकारी सदाचारी ही बनता है। अतएव, मानव जीवन में सदाचार का विशेष महत्त्व है।


सादा जीवन उच्च विचार 

Sada Jeevan Ucch Vichar

Essay # 2

हर देश, जाति और धर्म के महापुरुषों ने 'सादा जीवन और उच्च विचार' के सिद्धांत पर बल दिया है, क्योंकि हर समाज में ऐश्वर्यपूर्ण, स्वच्छंद और आडम्बरपूर्ण जीवन जीने वाले लोग अधिक हैं। आज मनुष्य सुख-भोग और धन-दौलत के पीछे भाग रहा है। उसकी असीमित इच्छाएँ उसे स्वार्थी बना रही हैं। वह अपने स्वार्थ के सामने दूसरों की सामान्य इच्छा और आवश्यकता तक की परवाह नहीं करता जबकि विचारों की उच्चता में ऐसी शक्ति होती है। कि मनुष्य की इच्छाएँ सीमित हो जाती हैं। सादगीपूर्ण जीवन जीने से उसमें संतोष और संयम जैसे अनेक सद्गुण स्वतः ही उत्पन्न हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त उसके जीवन में लोभ, द्वेष और ईर्ष्या का कोई स्थान नहीं रहता। उच्च विचारों से उसका स्वाभिमान भी बढ़ जाता है जो कि उसके चरित्र की प्रमुख पहचान बन जाता है। इससे वह छल-कपट, प्रमाद और। अहंकार से दूर रहता है। किन्तु आज की इस भाग-दौड़ वाली जिंदगी में हरेक व्यक्ति की यही लालसा रहती है कि उसकी जिंदगी ऐशो-आराम से भरी हो। वास्तव में आज के वातावरण में मानव पश्चिमी सभ्यता, फैशन और भौतिक सुख साधनों से भ्रमित होकर उनमें संलिप्त होता जा रहा है। ऐसे में मानवता की रक्षा केवल सादा जीवन और उच्च विचार रखने वाले महापुरुषों के आदर्शों पर चलकर ही की जा सकती है।


सादा जीवन उच्च विचार, दुनिया के सुख का आधार 
Sada Jeevan Ucch Vichar, Duniya ke Sukh ka Aadhar

Essay # 3

चरित्रवान् व्यक्ति की पहचान है कि उसका जीवन सादा होना चाहिए और उसके विचार ऊँचे होने चाहिए। जो इस तरह का जीवन जीते हैं उनसे लोग बहुत जल्द आकर्षित हो जाते हैं। उन्हें समाज में भरपूर प्रेम देते हैं। वे समाज के लिए निश्चित रूप से एक उदाहरण बनते हैं।

जब इस तरह के व्यक्ति से हमारा साक्षात्कार होता है तब हम उसे विशेष पाते हैं। उसका जीवन आम आदमी की तरह तड़क-भड़क का नही होता। न ही वह किसी को धोखा देता है। उसकी तो हर कोशिश यही होते है कि वह कोई ऐसा काम न करे जिससे सामने वाले व्यक्ति को जरा भी कष्ट पहुँचे। ऐसा व्यक्ति न तो किसी को शारीरिक पीड़ा देना चाहता है और न हो किसी की आत्मा सताना चाहता है।

सादा जीवन उच्च विचार रखने वाला व्यक्ति का दिखावे का जीवन नहीं होता। वह आडम्बर से कोसों दूर होता है। उसके विचारों और पहनावे में दिखावा नहीं होता। वह फैशनेबल जीवन नहीं जीता अपितु अनुकरणीय जीवन जीता है। वह अहंकारी नहीं होता अपितु अपनी विनम्रता से सब को आकर्षित करने वाला होता है।

जब सादा जीवन उच्च विचार वाले व्यक्ति के संपर्क में कोई आता है तो बाहरी तौर पर उससे कतई प्रभावित नहीं होता। इसका कारण यह है कि वह तड़क-भड़क का जीवन नहीं जीता। सादे वस्त्र पहनता है लेकिन उसके चेहरे पर तेज होता है। यह तेज़ इसका साक्षात् प्रमाण होता है कि वह उच्च विचारों वाला है। ऐसा व्यक्ति चरित्रवान होता है। सदचरित्र ही उसका धन होता है। वह निर्धन हो सकता है परन्तु चरित्र का धनी अवश्य होगा। अगर आप सादा जीवन उच्च विचार वाले व्यक्ति से परिचित हैं तो वह आपकी कभी हानि नही पहुंचा सकता पर अगर चरित्रहीन व्यक्ति के संपर्क में आप आते हैं तो आप को भारी हानि उठानी पड़ सकती है। सादा जीवन उच्च विचार वाले व्यक्ति के साथ रहकर आप अपना जीवन अनुकरणीय बना सकते हैं जबकि चरित्रहीन व्यक्ति के साथ रहकर आप अपना समस्त जीवन नष्ट कर सकते हैं।

देश में ऐसे अनेक महापुरुष हुए हैं जो सादा जीवन उच्च विचार के कारण देश को प्रगति के शिखर पर ले गए। जैसे महात्मा श्री लाला लाजपतराय, पंडित मदन मोहन मालवीय आदि। महात्मा गाँधी तो कहा करते थे कि सदाचार में अगर थोडी-सी चूक हो गई तो मुझे रुलाई आ जाती है। सदाचारी से अगर छोटी-सी भूल हो जाती है तो न जाने कितने दिन तक पछताता रहता है। जानता है कि अगर सदाचार चला गया तो नष्ट हो जाएगा। इसलिए ऐसा व्यक्ति जीवन में भारी कीमत चुकाता है पर अपना सदाचारी और उच्च विचार वाला जीवन नष्ट नहीं होने देता।

वस्तुत: जो व्यक्ति सादा जीवन जीता है, उच्च विचार रखता है, वह सदा सुखी जीवन जीता है। उसे कभी-भी किसी प्रकार कष्ट नहीं उठाना पड़ता और न उसके जीवन में कभी कोई बाधा ही आती है।