समय का सदुपयोग
Samay ka Sadupyog


अथवा
 
बीता समय वापस नहीं आता 
Bita Samay Vapas nahi Aata

Essay # 1

समय जात नाहि लागहि बारा-गोस्वामी तुलसीदास ने उपयुक्त ही कहा है कि गया वक्त कभी हाथ नहीं आता। संसार की सुख-समदधि नष्ट हो जाने पर पुनः संचय की जा सकती है पर जो दिन बीत जाता है, उसे वापस नहीं लाया जा सकता। समय अमूल्य है। संसारभर में समय की महिमा गाई गई है। जीवन के बीते हुए क्षण कभी दोबारा नहीं आते। इसीलिए विद्वानों ने इसके सदुपयोग का गुणगान किया है तथा इसे अत्यंत बलवान माना है-


पुरुष बलि नहीं होत है 

समय होत बलवान। 


समय अबाध गति से बढ़ता जाता है जो इसका सदुपयोग कर लेता है, वही जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है। जो व्यक्ति समय के महत्व को समझ गया. उसने जीवन के रहस्य को जान लिया। संसार के कठिन से कठिन कार्य उनके लिए सुगम हो जाते हैं। समय का सदुपयोग करने से साधारण से साधारण व्यक्ति भी महान बन जाता है। महान नाटककार शेक्सपीयर ने कहा है-


जो समय को बरबाद करता है, 

समय उसे बरबाद कर देता है।


इतिहास साक्षी है जो भी व्यक्ति समय का सदुपयोग करता रहा, उसने बड़ी सफलताएँ प्राप्त की। मैडम क्यरी ने रातों-रात जागकर मेहनत की, बीस-बीस घंटे प्रयोगशाला में लगाए और 'रेडियम' की खोज की। जीवन का प्रत्येक क्षण हमारे भाग्य निर्माता के रूप में हमारे समक्ष आता है। उसका कितना सदुपयोग हम कर पाते हैं, यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है। अंग्रेजी में कहा गया है कि-Time and tides wait for none. बुदधिमान व्यक्ति अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करते हैं। जो समयानुसार काम करने की आदत डाल लेता है, उसके सभी काम पूरे हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति अपना सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन सफलतापूर्वक जी पाते है। समय का सदुपयोग करने वाले पठन-पाठन, खेल, व्यायाम, सामाजिक उत्सव, मनोरंजन, चिंतन-मनन सबके लिए समय निकाल पाते हैं। ये आपने जीवन के प्रत्येक क्षण का आनंद लेते हैं। कबीर ने भी समय के सदपयोग की महिमा का गुणगान किया है-


काल कर सो आज कर, आज कर सो अब,

पल में परलै होयगी, बहुरी करोगे कब।


समय का सदुपयोग न करने पर मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में। असफलता व निराशा हाथ लगती है। ऐसे व्यक्ति सदा अपने दुर्भाग्य की दुहाई देकर स्वयं को कोसते हैं। वे बीते समय की स्मृतियों में अपना भविष्य अंधकारमय बना देते हैं तथा जीवन को व्यर्थ में ही गवा देते हैं। तुलसीदास जी ने भी कहा है-का बरखा जब कृषि सखाने, समय बीती का पुनि पछिताने। अर्थात समय बीत जाने पर पछताने से कछ लाभ नहीं होता। संस्कृत में भी कहा गया है-


निर्वाण दीपे किम् तैल दानं

चौरे गते वा किम् सावधान ! 


अर्थात दीपक के बुझने पर तेल डालने से तथा चोरी होने के बाद सावधान होने से कोई लाभ नहीं होता। समय को बरबाद करने वाले न केवल स्वयं का अपितु समाज व राष्ट्र का अनहित भी करते हैं।


संसार के समस्त देशों में से वे ही राष्ट्र उन्नति के चरम शिखर पर पहुँच पाए हैं, जहाँ समय के सदुपयोग को जाना व पहचाना गया है। जापान जैसे देश ने कुछ ही वर्षों में अपनी आर्थिक स्थिति अत्यंत सुदृढ़ बना ली है। समय के सदुपयोग का सफलता से सीधा संबंध है। जिस देश का प्रत्येक नागरिक समय का सदुपयोग करता है, वही राष्ट्र तरक्की कर पाता है। समय का दुरुपयोग व्यक्ति को पुरुषार्थहीन, कायर व अकर्मण्य बना देता है। अतैव समय की गति को पहचानकर और उसका भरपूर उपयोग करके हम जीवन को सार्थक बना सकते हैं।


विद्यार्थी जीवन में समयपालन, उसके नियोजन व सदुपयोग की अधिक आवश्यकता रहती है। यही कारण है कि विद्यालयों में छात्रों को समय-तालिका दी जाती है। समय-तालिका बनाकर काम करनेवाले छात्र शिक्षा व खेल दोनों क्षेत्रों में आगे रहते हैं। समय का पालन करनेवाले छात्र अपने काम समय पर पूरे कर पाते हैं तथा उनका हृदय उल्लास व उमंग से भरपूर रहता है।


समय का सदुपयोग करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी रुचियों व वृत्तियों पर चिंतन-मनन करना चाहिए। अपनी रुचि के कार्यों में बचा समय लगाकर अपनी-अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति क्षमता का विकास कर सकते हैं। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक-एक क्षण का हिसाब रखना अति आवश्यक है। संसारभर के महापुरुषों की सफलता का रहस्य परिश्रम व समयपालन रहा।


मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है परंतु उसमें अनंत शक्ति का भंडार है। ईश्वर प्रदत्त शक्तियों का सदुपयोग करने के लिए मानव जीवन बहुत छोटा है। परंतु इस जीवन का एक पल भी गँवाना उचित नहीं। समय रेत का वह ढेर है जो धीरे-धीरे खिसकता जाता है। वह कब कम हो जाता है, मनुष्य को इसका आभास भी नहीं हो पाता। यदि इस समय के प्रत्येक पल को वास्तव में जीना हो तो उसका हिसाब रखना, उस पर नियंत्रण रखना व उसी के अनुरूप कार्य करना अत्यंत आवश्यक है। समय का इस प्रकार सदुपयोग करना चाहिए कि बीते समय पर हमें पछताना न पड़े अपित बीता समय हमारे लिए सफलताओं के सुनहरे अवसर लाए जिनसे हमारा मस्तक गर्वोन्नत हो सके।


बीता समय वापस नहीं आता 
Bita Samay Vapas nahi Aata

Essay # 2

इस संसार में प्रकृति द्वारा मनुष्य को दिया गया सबसे अमूल्य उपहार 'समय' है। ढह गई इमारत को दोबारा खड़ा किया जा सकता है; बीमार व्यक्ति को इलाज द्वारा स्वस्थ किया जा सकता है ; खोया हुआ धन दोबारा प्राप्त किया जा सकता है ; किन्तु एक बार बीता समय पुन: नहीं पाया जा सकता। जो समय के महत्त्व को पहचानता है, वह उन्नति की सीढ़ियाँ चढ़ता जाता है। जो समय का तिरस्कार करता है, हर काम में टालमटोल करता है, समय को बर्बाद करता है, समय भी उसे एक दिन बर्बाद कर देता है। समय पर किया गया हर काम सफलता में बदल जाता है जबकि समय के बीत जाने पर बहुत कोशिशों के बावजूद भी कार्य को सिद्ध नहीं किया जा सकता। समय का सदुपयोग केवल कर्मठ व्यक्ति ही कर सकता है, लापरवाह, कामचोर और आलसी नहीं। आलस्य मनुष्य की बुद्धि और समय दोनों का नाश करता है। समय के प्रति सावधान रहने वाला मनुष्य आलस्य से दूर भागता है तथा परिश्रम, लगन व सत्कर्म को गले लगाता है। विद्यार्थी जीवन में समय का अत्यधिक महत्त्व होता है। विद्यार्थी को अपने समय का सदुपयोग ज्ञानार्जन में करना चाहिए न कि अनावश्यक बातों, आमोद-प्रमोद या फैशन में।