विजयलक्ष्मी पंडित
Vijay Laxmi Pandit


श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित आधुनिक युग की उन श्रेष्ठतम नारियों में से एक थीं, जिन्होंने आजीवन देशसेवा में सक्रिय रहकर देश को गौरव व सम्मान प्रदान किया। भारत के इतिहास में यह पहला अवसर था जब श्रीमती पंडित को राजदूत नियुक्त किया गया। इस प्रथम महिला राजदूत के ओजस्वी भाषणों की गूंज विश्वभर में फैली तथा राजनैतिक क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियाँ प्राप्त कर वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हुईं।


विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त, सन 1900 में इलाहबाद में। हुआ। इनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू तथा माता स्वरूपरानी थीं। इनका बचपन आनंद भवन के वैभवशाली वातावरण में व्यतीत हुआ। मिस-हूयर नाम की अंग्रेज महिला ने इन्हें आरंभिक शिक्षा दी। विभिन्न खेल तथा घुड़सवारी इनके बचपन के शौक थे। धीरे-धीरे घर के वातावरण से उनमें राजनैतिक चेतना आई तथा संयम, सहिष्णुतः आदि गुणों का विकास हुआ।


विजयलक्ष्मी पंडित का कहना था कि आज तक हमारा परदेशी नींव के भवन को गिराना था पर अब हमें अपना भवन बनाना है। हम जितने सशक्त होंगे, उतना ही सशक्त हमारा भवन होगा। उनका मानना था कि स्वतंत्रता हमारा अधिकार है तथा भारतीय स्वतंत्रता का आंदोलन विश्व के सामने एक अदभुत क्रांति की मिसाल है। इन्होंने देश की अनेक समस्याओं को दूर करने में अपनी विलक्षण प्रतिभा द्वारा सराहनीय योगदान दिया।


पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की प्रगति के अनेक कार्यों में ये जुटी रहीं। नेहरू जी के स्वर्गवास के पश्चात भी इन्होंने चुनाव लड़ा तथा बहुमत से निर्वाचित हुईं।विजयलक्ष्मी पंडित जहाँ अपने राजनैतिक जीवन में विलक्षण प्रतिभा संपन्न उग्र व ओजस्वी थी, वहीं वे व्यक्तिगत जीवन में मिलनसार तथा कोमल स्वभाव की थीं। इन्होंने अपना सारा जीवन देश की सेवा में व्यतीत कर दिया तथा जनसाधारण की तकलीफ़ों को समझकर उन्हें दूर करने का भरपूर प्रयत्न किया। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को सदृढ़ बनाने में भी उनकी विशेष भूमिका रही।


अपनी अंतर्राष्ट्रीय सेवाओं के पुरस्कार स्वरूप इन्हें लंदन वेल्स, कनाडा, न्यूयार्क आदि कई विश्वविद्यालयों से 'डॉक्टरेट' की उपाधि से विभषित किया गया। भारत सरकार द्वारा इन्हें 'पदमभूषण' से अलंकृत किया गया। इन्हें 'द वूमन ऑफ द ईयर' जैसे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के सम्मान भी मिले।


निश्चित रूप से इन्होंने अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए अपने विराट व्यक्तित्व व अदम्य  क्षमता से भारतीय नारियों को अभूतपूर्व प्रेरणा दी. इनका साहस, उत्साह तथा कर्मशीलता हमारे देश के लिए गर्व की वस्तु है।