किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए।

अविचल त्यागी

12, सैक्टर-23

चंडीगढ़

13.3.2014

सेवा में

संपादक महोदय

दैनिक ट्रिब्यून

चंडीगढ़

विषय : भ्रष्टाचार-उन्मूलन के बारे में

महोदय

मैं भारत में फैलते भ्रष्टाचार से अत्यंत व्यथित हूँ। कृपया मेरे निम्नलिखित विचार पाठकों तक पहुँचाने का कष्ट करें।

आज भारतवर्ष को भ्रष्टाचार की दीमकों ने पूरी तरह खोखला कर दिया है। सरकार 120 करोड़ नागरिकों के लिए जो पैसा आबंटित करती है, उसे सरकार के ही मंत्री, संत्री और अधिकारी मिलकर चट कर जाते हैं। ऊपर से चले हए 100 रुपयों में से मुश्किल से 10 या 15 रुपये ही जनता तक पहुँचते हैं। शेष 85-90 रुपये भ्रष्ट अफसरों, नेताओं या मंत्रियों की तिजोरियों में कैद है। इनमें से अधिकांश पैसा तो विदेशी बैंकों में पड़ा-पड़ा सड़ रहा है। सरकार खुद तो अपने भ्रष्ट कारनामों का पर्दाफाश कर नहीं सकती। अतः अब समय गया है कि जनता अपने लुटे हुए धन को वापस सरकारी खजाने में जमा करे और सरकार में बैठे अजगरों को कुचले, मसले तथा सत्ता से बाहर कर दे। अन्ना हजारे और बाबा रामदेव ने जो अलख जगाई है, उसे पूरा देश सुने और क्रांतिवीर बनकर आगे आए।

धन्यवाद !

 भवदीय

अविचल त्यागी