खेल-प्रतियोगिताएँ 
Khel Pratiyogita

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इस सत्य को समझकर खेलों को हम महत्त्व देते आए हैं। खेल प्रतियोगिताएँ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ-साथ भाईचारे और सौहार्द की भावना के विकास में भी सहायक होती हैं। खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हँसी-खेल नहीं है। विभिन्न खेलों के लिए खेल मैदानों, स्टेडियमों के निर्माण में विश्व-स्तर को ध्यान में रखना होता है। अतिथियों को हर प्रकार की यथा रहने-खाने आदि की सुविधा प्रदान कराना भी मेजबान देश का कर्तव्य है। इसी के साथ हमारे खिलाडियों की तैयारी भी सुचारू हो, यह भी कम महत्त्वपूर्ण मुद्दा नहीं होता। संबंधित अधिकारियों को दिन-रात योजना को क्रियान्वित करने में जुटे रहना पड़ता है। नई वातानुकूलित बसें चलाना और उसे खेल स्थान से जोड़ना भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं होता, साथ ही हजारों खिलाड़ी ही नहीं, बड़ी संख्या में दर्शकों के रहने-खाने की व्यवस्था, होटलों आदि का निर्माण कराना होता है। खिलाड़ियों के लिए तो ये खेल प्रतियोगिताएँ प्राण-वायु के समान होती हैं। राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों का चुनाव करने में सहायता मिलती है। ओलंपिक अथवा राष्ट्रमंडलीय खेलों जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ न केवल खेलों को प्रोत्साहन देने में सहायक होती हैं. इनके द्वारा सदभाव और मैत्री की भावना भी विकसित होती है।