मीडिया का प्रभाव
Media ka Prabhav

माना गया है कि तलवार से कलम अधिक ताकतवर होती है। आज इस मान्यता पर सत्यता की मोहर लग चुकी है। मीडिया से आशय उन सभी संचार माध्यमों से है जो जन-जन तक हर प्रकार के समाचार और सूचनाएँ पहुँचाते हैं। इसके अंतर्गत समाचारपत्र, टेलीविज़न, इंटरनेट तक सभी शामिल हैं। मीडिया ने देशों की ही नहीं विचारों की दरियाँ तक कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उत्तरी ध्रुव हो या सर्वोच्च शिखर ऐवरेस्ट, अमेज़ॉन के घने जंगल हों या सागर की अतल गहराइयाँ-हर जगह मीडिया की पहुँच है। चिली हो या युक्रेन, कश्मीर हो या छोटा सा द्वीप हेती-हर क्षेत्र की हलचल से आज कोई अनजान नहीं है। न्यूयॉर्क में जिस क्षण वर्ल्ड-ट्रेड-सेंटर की इमारतों को विमानों द्वारा ध्वस्त किया गया था, उसी क्षण उस दृश्य को पूरी दुनिया में देखा जा रहा था। आज दुनिया की नज़र से छिपाकर आज अन्याय और अत्याचार का तांडव संभव नहीं रह गया है। यह मीडिया की कडी नजर ही है जिसने हिटलर, ईदी अमीन जैसे मानवता के हत्यारों को हावी होने से बचा रखा है। आज शोषित की आवाज भी सनी जा सकती है और शोषक की काली करतूतें भी उजागर होती हैं। जनता को जागरूक बनाने में मीडिया की महत्त्वपर्ण भूमिका रही है। जनतंत्र का यह सुदृढ़ स्तंभ है किंतु यदि यही बिक जाए तो प्रगति और समृद्धि का महल धराशायी हो सकता है। इसलिए इसकी स्वतंत्रता जितनी आवश्यक है उतना ही नियंत्रण भी। शासन और शक्तिशाली के हाथों का खिलौना बनने से इसे रोका जाना बहुत आवश्यक है। इसे जनता का प्रहरी बनकर सरकार को सुख की नींद सोने से रोकना चाहिए। जन सामान्य के मूलभूत अधिकारों का रक्षक बन उनका हनन करने वालों का कच्चा चिट्ठा सबके सामने लाना चाहिए। मीडिया की दुधारी तलवार सत्य और न्याय की रक्षा के लिए उठनी चाहिए न कि 1975 के आपातकाल की तरह सत्य और न्याय का गला घोंटने के लिए, भारत जैसे जनतांत्रिक देश में मीडिया अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।