मेरा प्रिय खेल क्रिकेट
Mera Priya Khel Cricket
मेरा प्रिय खेल क्रिकेट है। शायद ही कोई ऐसा
खेल हो जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इतना लोकप्रिय हो। यह एक ऐसा अनोखा खेल है जिसे
हर आयु और हर वर्ग के लोग अत्यंत प्रसन्नता से खेलते हैं। इसका आनंद न केवल जलन
वाले ही लेते हैं अपितु दर्शक भी इस खेल में भरपूर रुचि व आनंद लत है। सामूहिक रूप
से खेले जाने तथा मनोरंजन का साधन बनने के कारण यह खेल जन साधारण को अत्यधिक प्रिय
है।
माना जाता है कि क्रिकेट का इतिहास लगभग पाँच
सौ वर्ष पुराना है। 1478 के फ्रांसीसी खेलों में भी इसकी चर्चा मिलती
है। ब्रिटिश खेलों के इतिहास के इतिहास को यदि देखा जाए तो हम पाएंगे कि आरंभ में
यह खेल बालकों के मध्य ही खेलों जाता था परंतु धीरे-धीरे यह खेल आयु व वर्ग की सभी
सीमाओं को लाँघ गया तथा विश्व के खेलों का सम्राट बन बैठा।
उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में क्रिकेट का
नियमानुसार प्रदर्शन आरंभ हुआ। सर्वप्रथम इस खेल ने इंग्लैंड में प्रसिद्धि अर्जित
की। सर्वप्रथम गिलफोर्ड विद्यालय में यह खेल सार्वजनिक रूप से खेलों गया। विभिन्न
समाचार पत्रों ने इस खेल की व्यापक चर्चा की। बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक तक आते-आते
क्रिकेट के काफ़ी टैस्ट मैच खेले जाने लगे। आज विश्वभर की क्रिकेट टीमें समय-समय
पर अपने अच्छे खेल का प्रदर्शन करने हेतु एक दिवसीय खेल तथा टैस्ट मैचों में
हिस्सा लेती हैं।
क्रिकेट जनसाधारण का प्रिय खेल है। जब कभी भी
दो देशों के मध्य यह खेल खेलों जाता है तो आकाशवाणी से खेल का आँखों देखा हाल
सुनाया जाता है। दूरदर्शन इन खेलों का सीधा प्रसारण करता है तथा हजारों की संख्या
में दर्शक खेल देखने के लिए खेल मैदानों में उपस्थित होते हैं।
भारत में सर्वप्रथम मुंबई में राजगुरु क्रिकेट
टूर्नामेंट आरंभ हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व ही भारत तथा इंग्लैंड के
मध्य क्रिकेट खेल आरंभ हो गए थे। तब से आज तक भारत की क्रिकेट टीम समय-समय पर
विश्वभर के विभिन्न भागों में जाकर क्रिकेट खेलती रही है। विजयसिंह हजारे, अमरनाथ, नवाब
पटौदी, कपिलदेव,
गावस्कर आदि क्रिकेट खिलाड़ी अपने अच्छे
खेल प्रदर्शन से भारत को गौरव प्राप्त कराते रहे हैं।
क्रिकेट का खेल मुझे अत्यंत प्रिय है। इसके कई
कारण हैं। इस खेल में अंत तक स्पर्धा बनी रहती है। अंतिम क्षण तक खेलने वाले तथा
देखने वाले दोनों पक्षों में उल्लास व जोश का संचार बना रहता है। क्रिकेट के खिलाड़ियों
में अनुशासन, संगठन तथा विजय की जो भावना दिखाई देती है, वह
जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी व्यक्तिगत सफलता के द्वार खोलती है।
क्रिकेट के खेल से शारीरिक विकास, मानसिक
शक्ति तथा भावनात्मक संगठन प्रबल होता है। खेल तथा उससे होनेवाला व्यायाम मनुष्य
के शरीर के साथ-साथ मन और बुद्धि के विकास में भी परम सहायक होते हैं। ही कारण है
कि हर गली-मोहल्ले से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक इस खेल का आयोजन किया
जाता है।
क्रिकेट का खेल एक खुले व बड़े मैदान में खेलों
जाता है। मैदान के बीच में 22 गज लंबी पिच तैयार की जाती है। पिच के दोनों तरफ़
तीनतीन विकेट गाड़े जाते हैं। खेल दो टीमों के मध्य होता है। दोनों टीमों में
ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी होते हैं। प्रत्येक टीम अपना एक कप्तान नियुक्त करती है। वह
सारे खेल का दिशा निर्देश देता है। खेल कौन-सी टीम पहले खेलेगी, इसका
निर्णय 'टॉस' से किया जाता है। खेल पर नियंत्रण रेफ़री का
होता है। खेलने वाली टीम के दो खिलाड़ी बैट लेकर मैदान में खेलते हैं और रन बनाते
हैं। दूसरी टीम बॉल फेंकने व गेंद पकड़ने का काम करती है। यदि गेंद बिना टप्पा खाए
लपक ली जाए या विकेट को छू जाए तो खिलाड़ी 'आऊट' हो जाता है। इस प्रकार दूसरी टीम भी खेलती है।
अधिक रन बनाने वाली टीम विजेता मानी जाती है।
मेरा प्रिय खेल आज विश्वभर का प्रिय खेल है। अत्यधिक रोचक होने के कारण इसकी कीर्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है।
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Thankyou
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