मेरा जीवन-लक्ष्य
Mere Jeevan Ka Lakshya 

Essay # 1

'कोहनी पर टिके हुए लोग, 

सुविधा पर बिके हुए लोग, 

बरगद की करते हैं बात,

गमले में उगे हुए लोग। 

इन पंक्तियों ने मुझे अपना जीवन-लक्ष्य निर्धारित करने का आधार दिया है। मैंने निश्चय किया है कि अपने व्यक्तित्व और जीवन बरगद की-सी ऊँचाइयाँ दूंगी, घनी छाया दूँगी। सुख-सुविधाएँ पाने के लिए गलत समझौते करके स्वयं को गमले में उगे की भाँति छोटा नहीं बनने दूंगी। ऐसा वटवृक्ष बनूँगी, जिसकी जड़ें देश की मिट्टी से, उसके सांस्कृतिक मूल्यों से रस लेती हैं। जिसकी शाखाएँ और पत्ते बिना किसी भेदभाव के हर थके राही को छाया प्रदान करते हैं। समाज-सेवा मेरा पेशा नहीं, मेरी जीवनी-शक्ति और जीवनाधार बनेगा। मैं विद्याध्ययन के साथ-साथ संध्या समय में फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाती हूँ। उनसे बातचीत करके उनकी पीड़ा, उनकी समस्याओं को समझकर अपनी अल्पबुद्धि से सुझाव देती हूँ। मेरी दृढ़ मान्यता है कि हमारे देश के पिछडेपन, गरीबी और अंधविश्वासों के मूल में अशिक्षा है। 'भारत' और 'इंडिया' के बीच की खाई केवल शिक्षा के प्रचार और प्रसार से ही पाटी जा सकती है। समान विचारों वाले अपने कुछ साथियों के साथ एक स्वयंसेवी संस्था बनाकर बच्चों और बडों को सुशिक्षित और सुसभ्य बना देने का सपना मैं दिन-रात देखती हूँ। कल तक जिनके लिए 'काला अक्षर भैंस बुराबर' था, उन्हें अखबार पढ़ते हुए और देश की गतिविधियों पर चर्चा करते हुए देखकर मेरा उत्साह और बढ़ जाता है, हृदय प्रसन्नता और गर्व से फूल उठता है। शिक्षा केवल अक्षर-ज्ञान नहीं है बल्कि यह वह ज्ञान और समझ है, जो सही और गलत में भेद करना सिखाती है, अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत बनाती है। तथा स्वावलंबी बनकर आत्मसम्मानपूर्वक जीने की योग्यता पैदा करती है। मुझे पूर्ण आशा है कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने में समाज से मुझे पूरा सहयोग मिलेगा। 


मेरे जीवन का लक्ष्य 
Mere Jeevan Ka Lakshya 

Essay # 2

मैं अब दसवीं कक्षा में पढ़ रहा हूँ। मैंने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। मैं बड़ा होकर एक सैनिक बनकर देश की सेवा करना चाहता हूँ। प्राय:अखबारों, रेडियो व टेलीविज़न के माध्यम से पाकिस्तान की ओर से भारत में आतंक फैलाने की घटनाएँ पढ़ने-सुनने को मिलती हैं। बांग्लादेश से भी भारत में घुसपैठ होती रहती है। चीन ने पहले ही भारत का एक बड़ा भूभाग दबाकर रखा है और अब भी उसकी नीयत भारतीय ज़मीन पर कब्जा करने की रहती है। हमने अंग्रेजों से एक लम्बी गुलामी के बाद बड़ी कुर्बानियाँ देकर आज़ादी प्राप्त की है। इसे कायम रखना प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्य है। मैं अब कभी दोबारा भारत पर कोई भी आँच नहीं आने दूँगा। मुझे खुशी है कि मेरे जीवन के लक्ष्य निर्धारण में मेरा परिवार मेरे साथ है। मेरे मामा जी भी लम्बे समय से फौज में अफसर हैं। उन्होंने भी मुझे काफी प्रेरित किया है। उन्होंने अन्य विषयों के साथ-साथ विशेष रूप से गणित और विज्ञान में अच्छे अंक प्राप्त करने, शरीर को स्वस्थ व फुर्तीला रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने तथा जीवन में निडरता व अनुशासन पर बल देने की बात कही है। निस्संदेह रास्ता कठिन है किन्तु मुझे विश्वास है कि आत्मविश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति व मेहनत के सहारे में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लूँगा।