आप 87, नानक नगर, लुधियाना के राघव रमन हैं। आप लाउडस्पीकरों के मनमाने उपयोग की शिकायत करते हुए 'दनिक ट्रिब्यून' चंडीगढ़ के संपादक को पत्र लिखिए।

सेवा में

संपादक महोदय

दैनिक ट्रिब्यून चंडीगढ़

महोदय

मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से अपनी आवाज़ जनता तक पहुँचाना चाहता हूँ। कृपया मेरे निम्न विचार पाठकों के लिए निर्धारित स्तंभ 'आपने लिखा' में प्रकाशित करें

"आजकल नागरिक जीवन में लाउडस्पीकर का मनमाना उपयोग एक आम बात हो गई है। यद्यपि लाउडस्पीकर के संबंध में कुछ नियम हैं। उन पर रोक और छूट की नियमपूर्वक व्यवस्था की गई है। लेकिन जनता इन नियमों के बारे में कुछ नहीं जानती। परिणामस्वरूप लोग अपनी सुविधानुसार जब चाहे लाउडस्पीकर लगाकर रात भर गाते-बजाते हैं, भगवान का भजन करते हैं, सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन करते हैं, माँ भगवती का गुणगान करते हैं, मंदिरों में कथा-कीर्तन करते हैं, मसजिद में नमाज अदा करते हैं, गरुद्वारों में पूजा-पाठ करते हैं. विवाह-शादियों पर आनंद-उत्सव मनाते हैं। अपने कार्यक्रम के नशे में दूसरों के दुख-सुख की कोई परवाह नहीं करता। रामलीला के दिनों में रामलीला-स्थल के नजदीक रहने वाले छात्रों की क्या दुर्दशा होती है, यह तो वे ही बता सकते हैं जिन घरों के चारों ओर मंदिर, मसजिद, गुरुद्वारे होते हैं। वहाँ के निवासियों को क्रम से सबकी रामकहानी सननी पड़ती है। सच बात तो यह है कि वहाँ के निवासी बहरे हो जाते हैं। वे तनावग्रस्त जीवन जीते हैं।

प्रशासन का कर्तव्य है कि वह हर सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक और व्यक्तिगत उत्सव पर होने वाली आवाज़ को काबू में रखें। जरूरत पड़े तो नियम का उल्लंघन करने वालों पर दंड लगाया जाए।

शोर के दबाव को कम करने में सबसे बड़ी भूमिका स्वयं जनता की है। जनता को चाहिए कि वह बेकाबू आवाज़ के विरुद्ध आवाज़ उठाए। यह काम धैर्य, कुशलता और कोमलता का है। अतः जनता ही सविनय आग्रह से शोर के दबाव को कम कर सकती है। भाई-चारे की नीति से लाउडस्पीकरों के शोर पर काबू किया जा सकता है।"

भवदीय

राघव रमन

87, नानक नगर

लुधियाना

दिनांक : 12-3-2014