हमारे राष्ट्रीय पर्व
Hamare Rashtriya Parv

'उत्सव आते, नवजीवन, नवयौवन दे जाते।

नई भावना, नई उमंगें, जन-जन में भर जाते।' 

पर्व हमारे नीरस जीवन को सरस बनाते हैं। सांस्कृतिक वैभिन्य वाले हमारे देश में राष्ट्रीय-पर्व जन-जन को एक-सूत्र में बाँधते हैं। जिस प्रकार होली दीवाली, दशहरा, ईद, क्रिसमस, गरु-पर्व हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं उसी प्रकार स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्रदिवस और गाँधी जयन्ती हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं। इन पर्यों का संबंध किसी जाति, धर्म, संप्रदाय या वर्ग विशेष से न होकर समूचे राष्ट्र से होता है। ये पर्व हम सबमें देश-भक्ति की भावना के साथ-साथ उत्साह और उत्तरदायित्व की भावना जगाते हैं। परस्पर सौहार्द्र और सद्भाव बढ़ाने की दृष्टि से इन पर्यों का विशेष महत्त्व है। 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर जब देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराकर जनता के नाम अपना अभिभाषण देते हैं तो कन्याकुमारी से कश्मीर, असम से कच्छ तक पूरा भारत एक साथ उसे देखता और सुनता है। 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस पर राजपथ की परेड में पूरे भारत का प्रतिनिधित्व होता है। तीनों सेनाओं की टुकड़ियाँ जब राष्ट्रपति को सलामी देती हैं तो हम सबकी छाती गर्व से फूल जाती है। सभी प्रदेशों की झाँकियाँ और लोक-नृत्य भारत की विभिन्नता में एकता' का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। 2 अक्टूबर, गाँधी जी के जन्मोत्सव को हम सब अपने राष्ट्रपिता को याद करके श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। जिस प्रकार गाँधी जी ने घूम-घूमूकर पूरे भारत को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा और अंग्रेजी शासन को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया-उसी प्रकार हमें भी उनके दिखाए मार्ग पर चलकर जाति-धर्म के सभी भेदभाव भुलाकर देश को गरीबी, अशिक्षा और भ्रष्टाचार से मुक्त करना होगा। राष्ट्रीय-पर्व पर हर भारतीय की भावना को इन पंक्तियों में अभिव्यक्ति मिली है-

'तन समर्पित, मन समर्पित,

और यह जीवन समर्पित, 

चाहता हूँ देश की धरती,

तुझे कुछ और भी दूं।'