मेरा भारत महान
Mera Bharat Mahan 



'बसते वसुधा पर देश कई,

जिनकी सुषमा सविशेष नई।

पर भारत की गुरुता इतनी,

है इस भूतल पर कहीं न जितनी।'


भारत का ज्ञान, भारत का अध्यात्म, संस्कृति के जीवन-मूल्य आज भी भारत को विश्व के आकर्षण का केंद्र बनाए हुए हैं। अनेकानेक धर्मों, परंपराओं का सुंदर मेल है यहाँ! खान-पान, भाषाओं, पहनावों, गीत-संगीत-नृत्यों का जितना वैविध्य एवं संपन्नता भारत में है, उतनी पूरे विश्व के किसी एक देश में नहीं। प्रकृति का तो मानो विशेष वरदान प्राप्त है, इस पावन-धरा को। उत्तरी भाग में यदि हिमालय है, तो दक्षिण में तीन महासागरों की तरंगें हैं। पूरब में घने जंगल हैं, तो पश्चिम में रेतीले कछार। गंगा-यमुना, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा के जल से सिंचित शस्य-श्यामला धरती है। संसार की शायद ही पशुपक्षियों की कोई ऐसी प्रजाति हो, जो यहाँ न मिले। भाँति-भाँति के स्वादिष्ट फल, सुमनोहर पुष्पों की छटा चार चाँद लगा देती है। वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला का अतुल्य भंडार है। यहाँ, तो ऐसी सांस्कृतिक विरासत भी है जो सदियाँ बीत जाने पर आज भी अक्षुण्ण बनी हुई है


'कुछ बात है ऐसी कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहाँ हमारा।'


प्राचीनकाल में नालंदा, तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय ज्ञान का केंद्र बने हुए थे, तो आज भी अमेरीका जैसे सर्वाधिक संपन्न देश तक में भारत की मेधा की तती बोलती है। प्रेम और शांति का उपासक, सत्य और अहिंसा का पक्षधर भारत, आज एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। महात्मा बुद्ध, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी जैसे अगणित महापुरुषों का जनक भारत महान है। अनेकता को एकता के अटूट धागे में बाँधकर रख सकने वाला भारत महान है। 'वसुधैव कुटुंबकम्' तथा 'सर्वेभवन्तु सुखिनः' के पवित्र आदर्श पर आस्था रखने वाला भारत महान है। अद्वितीय, अनुपम, विलक्षण, दिव्य विभूति भारत! शत-शत नमन मेरे भारत महान!