मेरे सपनों का भारत

Mere Sapno Ka Bharat

निबंध # 1

'मानवता के मंदिर में ज्ञान का दीप जला दो,

करुणा निधान भगवान मेरे भारत को स्वर्ग बना दो।' 

मैं अपने भारत को 'स्वर्गादपि गरीयसी' बनाना चाहती हूँ। उसकी खोई प्रतिष्ठा पुनर्स्थापित करके उसे पुनः 'सोने की चिड़िया' और 'जगतगुरु की उपाधि से सम्मानित देखना चाहती हूँ। ऐसा भारत जो इतना शक्तिशाली हो कि कोई आँख उठाकर देखने का दस्साहस तक न कर सके। जहाँ सभी धर्म, जाति, भाषा-भाषियों को विकास के समान अवसर प्राप्त हों। शोषित, निर्धन, असहाय होकर जहाँ किसी की आँखों से अश्रु न बहें, फूलों से खिली मुस्कान हो चेहरों पर! भ्रष्टाचार से मुक्त सुशासन हो। जहाँ की राजनीति मेवा पाने की नहीं, सेवा करने का साधन बने। गाँधी, तिलक, पटेल जैसे समर्पित जन उन्नायक नेता हों। अपनी सभ्यता-संस्कृति पर शर्म नहीं, गर्व करने वाले नागरिक हों। जो धन के पीछे न भाग कर जीवन में सुख-शांति लाने को प्राथमिकता दें। हम भारतीयों का व्यक्तित्व अनूदित न होकर मौलिक बने। भौतिक उन्नति और अध्यात्मिकता का यहाँ समन्वय हो। यहाँ का संपन्न और समर्थ वर्ग पिछड़ों को सहारा देकर अपने साथ विकास-पथ का हमराही बनाए। 'वसुधैव कुटुम्बकम' और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' की भावना में हमारा विश्वास हो। स्वप्न साकार होते हैं, यदि हममें सच्ची लगन और निष्ठा हो। यह स्वप्न भी पूरा होगा और तब हम गर्व से कह सकेंगे।

'सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दुस्तां हमारा।'


मेरे सपनों का भारत 
Mera Sapno Ka Bharat

निबंध # 2 

भारत को देखकर एक शायर को लिखना पड़ा था अगर दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है और यहीं है। यह बात बेशक कश्मीर के संदर्भ में कही गई है पर मेरा मानना है कि यह उक्ति पूरे भारत के बार में है। यह मेरा ही देश है जो कभी सोने की चिड़िया कहलाता था। यह मेरा ही देश है जहाँ हिमालय है, परमपावनी गंगा है। इस देश में कभी दूध और भी का नदियाँ चाहती थी। यह शान्तिप्रिय देश रहा है। यहाँ गौतम पद और महात्मा गाँधी जैसे तपस्वी हुए हैं जिन्होंने पूरे देश को अहिंसा व शांति का सबक सिखाया।

मगर कुछ स्वार्थी तत्वों ने इस देश की प्रतिष्ठा पर चोट की। उनके स्वार्थ के कारण यहाँ विदेशियों को पनाह मिली। नतीजतन दूध और घी की नदियाँ सूख गई। शान्ति अशांति में बदल गई। देश में अनेक तरह की समस्याओं ने जन्म ले लिया। बेरोजगारी अलगावद, आतंकवाद जैसी कितनी ही समस्याओं ने देश को नकसान पहुंचाना शरू कर दिया। इससे लोगों को नाना दु:खों ने घेर लिया।

पर मैं जिन सपनों का भारत चाहता है उसमें यहाँ के लोगों को किसी तरह का दुःख न होगा। मैं चाहता हूँ कि इस देश में रामराज की स्थापना हो। मैं राजतंत्र में नहीं लोकतंत्र में यकीन करता हूँ। इसलिए मैं ऐसा रामराज चाहता हूँ जो पूरी तरह लोकतंत्र पर आधारित हो। मैं चाहता है इस देश में प्रधानमंत्री उसी तरह का आचरण करे जिस तरह राम, कृष्ण, शिवाजी और सम्राट अशोक करते थे। महाराज शिवाजी और अशोक के शासन में जिस तरह सभी सुख चाहते थे वैसा ही मैं वर्तमान प्रधानमंत्री के शासन में चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ हमारे शासक जनता के सुख और दुःख को दूर करने में अपना जीवन न्योछावर कर दें। वे अपनी चिंता न कर जनता की करें। हमारे प्रधानमंत्री के ऐसे ही सलाहकार हों जैसे चाणक्य थे। ये सलाहकार कूटनीतिज्ञ हों, और सादा जीवन उच्च विचार के समर्थक हों। वे फैशन व दिखावे से दूर हों, त्यागमय जीवन व्यतीत करें। पहले जनता का हित सोचे बार में अपना।

मैं चाहता हूँ कि मेरे शासक आदर्शवादी-हों और अपने कर्तव्य का पालन करने वाले हों। यहाँ के लोगों को उनकी क्षमता के मुताबिक काम मिले। यहाँ की स्त्रियों का सभी सम्मान करें। सभी स्वस्थ और निरोगी हों। कहीं भी अपराध न सुने जाएँ। सभी धर्मनिरपेक्ष हो, सभी को अपने-अपने धर्म में रुचि रखने की पूरी स्वतंत्रता हो। जातिवाद और धार्मिक संकीर्णता से दूर हों।

में ऐसी शिक्षानीति चाहता हूँ जो रोजगार के अवसर परे कर सकें। बेरोजगारी का पूरी तरह उन्मूलन हो। बेरोजगारी का अधिकार हर भारतीय को संवैधानिक रूप से प्राप्त हो। देश में किसी तरह का घोटाला न हो। हमारी सेनाएँ शत्रुओं का मुँह तोड़ जवाब देने में सक्षम हों। मैं चाहता हूँ कि सभी मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी हों। सबको भरपेट खाना, अच्छा आवास और अच्छे कपड़े मिले। मैं तो ऐसा अपने सपने का भारत चाहता हूँ। जब ऐसा भारत होगा, वह समस्याओं से हीन होगा और विश्व में उसको पुनः वही प्रतिष्ठा होगी जो पहले थी।