समग्र शिक्षा अभियान
Samagra Shiksha Abhiyan


 कभी 'जगद्गुरु के उच्चासन पर विराजमान हमारा देश आज दुनिया के सबसे अधिक अशिक्षित लोगों वाले देशों में से एक है। गरीबी और पिछड़ेपन के अभिशाप से हम तभी मुक्त हो सकेंगे, जब 'सर्वशिक्षा अभियान' को तीव्र गति से देश के कोने-कोने में चलाया जाएगा। आधी आबादी जो अशिक्षित है, उसमें बच्चे भी हैं, जवान भी और बूढ़े भी। सरकार और अनेकानेक स्वयंसेवी संस्थाओं ने गाँवों, कस्बों, शहरों की झग्गी-बस्तियों, फुटपाथों पर इन्हें शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है, जहाँ इन्हे निःशुल्क शिक्षा देने के साथ-साथ ऐसे कार्यों का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है, जिससे ये चार पैसे कमाकर आत्मनिर्भर बन सकें। आज नारी-शिक्षा को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है क्योंकि एक माँ यदि शिक्षित हो तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। शिक्षा उन्हें आर्थिक दृष्टि से ही आत्मनिर्भर नहीं बना रही वरन् उन्हें अंधविश्वासों और सड़ी-गली रूढ़ियों एवं परपराओ से मुक्त कराकर एक ऐसा जागरूक नागरिक बना रही है, जो अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत हो। देश का एक बड़ा हिस्सा यदि भूखा-नंगा, दर-ब-दर की ठोकरें खाने-फिरने को मजबूर हो तो देश आगे कैसे बढ़ सकता है? संपन्न और निर्धन के बीच खाई पाटने का सबसे कारगर उपाय सर्वशिक्षा ही है। बीज को यदि सही खाद-पानी देकर पल्लवित-पुष्पित नहीं किया जाएगा तो तो उसके विषाणु चोरी-चुकारी, नशाखोरी और आतंकवाद का रूप लेकर पूरे देश और समाज की सुख-शांति नष्ट कर सकते हैं। अतः हमारा यह पुनीत कर्तव्य है कि सर्वशिक्षा अभियान में योगदान देकर हम देश को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होने में सहायक बनें।