विदेश गए पिता जी को घर-परिवार संबंधी जानकारी देते हुए। 

15, वसंत विला 

निराला नगर 

लखूनऊ 

15 जनवरी 2015 

आदरणीय पिता जी,

सादर चरण-स्पर्श! हम सब यहाँ कुशल-मंगल है, आशा है आप भी सकुशल होंगे। आप हम सबकी चिंता छोड़ दें। आदरणीय ताऊजी और ताईजी हफ्ते में एक-दो बार अवश्य आते हैं। फ़ोन पर भी बात-चीत होती रहती है। माँ का बुखार उतर चुका है, हम सब उनका ध्यान रखते हैं। घर के काम भी हमने बाँट लिए है। में सुबह का नाश्ता और खाना बनाती है। शासन की जिम्मेदारी दादा ने ले रखी है। हमें रोज-रोज कुछ नया खाने को मिल रहा है। माँ की बीमारी का एक और लाभ हुआ है।

दीपू अब ना ज़िद करता है और न ही ज्यादा शैतानियाँ। हम सबकी पढ़ाई ठीक-ठाक चल रही है। परीक्षाएँ मार्च-अप्रैल प्रारंभ हो रही हैं। हम सबने अभी से कमर कस ली है।

पड़ोस की शर्मा आंटी का हमें बहुत सहयोग मिला। हम सबके स्कूल कॉलेज चले जाने के बाद वे ही माँ का ध्यान रखती थीं। उन्हें समय पर दवा, फल, दलिया देती थीं। आपने शर्मा जी का ऋण चुकाने में जो सहायता की थी, वे आज भी उसके पनि कृतज्ञता व्यक्त करती हैं। समय पर एक दूसरे के काम आना, यही तो धर्म का सच्चा रूप है। आपने वहाँ की जो तस्वीरें भेजी थीं हम बार-बार उन्हें देखते हैं और खुश होते हैं। वहाँ आपके कार्य को इतना सराहा जा है यह हम सबके लिए गर्व का विषय तो है ही, प्रेरणा का स्रोत भी है। दादा घर की ज़िम्मेदारी पूरी तरह निभा रहे हैं। यह उनके प्रशिक्षण का अंतिम वर्ष है और आपको यह जानकारी प्रसन्नता होगी कि अभी से उन्हें नौकरी के प्रस्ताव मिलने लगे हैं। हम सबकी ओर से आप पूर्णतः निश्चिंत रहें। आपके बच्चे आपकी राह पर ही चल रहे हैं। 

दादा और दीपू का चरण स्पर्श! पूरी तरह स्वस्थ हो जाने पर माँ भी आपको पत्र लिखेंगी। 

आपकी प्यारी बेटी

नेहा